बिहार विधानसभा चुनाव के दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, खबरों के गलियारे से गरमा-गरम ख़बर लोगों को नाश्ते, लंच और डिनर के रूप में मिल रही है…
अरे हाँ, खाने से याद आया कि बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की प्लेट में तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 56 भोग परोस दिये।
अरे भाई, हम बात कर रहे हैं बिहार को दिये जाने वाले 1 लाख 65 हज़ार करोड़ की उस राशि के बारे में जो हाल ही में बिहार के आरा में एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ऐलान किया। शायद ही नितीश को ये पता रहा होगा कि उन्हें इतना बड़ा तोहफा मिल जाएगा।
दिन-रात बीजेपी और केंद्र सरकार की खिंचाई करने वाले नितीश कुमार की तो निकाल पड़ी।
दुनिया के सामने मोदी की निंदा करने वाले नितीश कुमार मन ही मन ख़ुश तो बहुत हैं, लेकिन उन्हें इस बात का बुरा लग गया कि कैसे मोदी उनके ही राज्य के लोगों से पूछ-पूछकर पैसे बढ़ा रहे थे।
नितीश की हालत उस पिता की तरह हो गई, जो चाहता तो है कि उसके बच्चे अच्छा खाना खाएं, अच्छा पहने, लेकिन येही सब घर आए मेहमान से उनके बच्चे को मिल जाए और बच्चे ख़ुश हो जाएँ और पिता से उस मेहमान कि तारीफ़ करने लगे तो पिता के मन में ग़ुस्सा के साथ ही ये भी आता है कि आख़िर वो मेहमान उनके घर आया ही क्यूँ।
आप भी हमारी तरह यही सोच रहे होंगे कि आख़िर नितीश कुमार को इतना बुरा किस बात के लिए लग रहा है।
अरे जब प्रदेश की भलाई और उसे सँवारने के लिए केंद्र से इतना पैसा मिल रहा है। तो बात ये है कि नितीश जी को शायद इस बात का बुरा लग रहा है कि अगर यही उपहार मोदी जी अच्छे मेहमान की तरह बंद कमरे में चाय कि चुस्की लेते हुए उन्हें मुसकुराते हुए थमा देते तो नितीश बहुत प्रसन्न होते, लेकिन उन्हीं के घर में आकर और मदद करने का ऐसा तरीक़ा शायद नितीश के मन नहीं भाया। नितीश के इस व्यवहार पर तो ऐसा ही लगता है कि अभी भी वो नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देख पा रहे हैं।
आख़िर प्रदेश की जनता को भी तो दिखाना है कि मोदी ने जो किया वो सही रास्ता नहीं था…
आख़िर वोट की बात जो ठहरी। जोड़-तोड़ में किसी तरह तो नितीश अपनी कुर्सी बचा पाए हैं अब भला मोदी के 56 भोग वाले उपहार में उसे कैसे जाने दे सकते हैं…
शायद इसीलिए नितीश लोगों के सामने अपना झूठा गुस्सा दिखा रहे हैं। अब इतना तो बनता ही है.
प्रदेश के चुनाव की बात जो ठहरी।
वैसे ये बात और है कि 1 लाख 65 हज़ार करोड का तोहफ़ा पाने के बाद भी नितीश कुमार दुनिया और मीडिया के सामने इसकी आलोचना करने से नहीं थक रहे, लेकिन जनता इतनी मूर्ख नहीं है। उन्हें भी पता है कि मन ही मन नितीश इतनी बड़ी रक़म पाने के बाद यही गुनगुना रहे होंगे कि ‘पायो जी मैंने मोदी रतन धन पायो’।
(नोट- इस लेख का उद्देश्य किसी के ऊपर कटाक्ष करना या उसकी भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)
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