जीवन शैली

खतरे में इंसान प्रजाती, पहली बार इंसानी मल में मिले माइक्रो प्लास्टिक कण

प्लास्टिक का प्रदूषण – अगर पेट्रोल और डीजल से फैलने वाले प्रदूषण के बाद किसी की बात की जाए तो वह प्लास्टिक होगा जो सबसे अधिक प्रदूषण फैलाता है। क्योंकि यह एक ऐसी चीज है जिसे जलाने के बाद भी खत्म नहीं होता है और सबसे बड़ी बात है कि इससे हो रहे प्रदूषण को रोकने का कोई तरीका नहीं है।

मतलब कि अगर हम पेट्रोल-डीजल का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो प्रदूषण नहीं होने देंगे। लेकिन एक बार जब प्लास्टिक बन गया तो उसे बिना यूज़ किए भी हम प्लास्टिक का प्रदूषण से प्रभावित होते हैं।

प्लास्टिक का प्रदूषण

आज का सबसे बड़ा सच है कि हम प्रदूषित हवा सांस ले रहे हैं। प्रदूषित चीजें खा रहे हैं और प्रदूषक चीजों के साथ बैठे हैं। मतलब कि हम केवल और केवल प्रदूषण से घिरे हैँ। यहां हम बात कर रहे हैं प्लास्टिक के प्रदूषण से आज हमारे घर से लेकर बिस्तर तक में मौजूद है। हमारे खाना प्लास्टिक में पैक होता है। पानी प्लास्टिक के बोतल में पैक होता है। हमारे लिखने-पढ़ने की चीज प्लास्टिक के साथ होती है।

एसी में बैठकर भी आप बैठे हैं प्रदूषण के साथ

लोग आजकल अपने घर में एसी लगाए हुए हैं। उन्हें लगता है कि वे एसी लगे कमरे में बैठकर प्रदूषण से बच जाते हैं। लेकिन यह पूरी तरह से गलत है। अगर आपके एसी लगे कमरे में पानी की बोतल रखी है तो आप प्रदूषण के साथ बैठे हैं। अगर आपका खाना प्लास्टिक के बर्तन में पैक होकर आ रहा है तो प्रदूषण को खा रहे हैं। हमारे चारों ओर प्लास्टिक ही प्लास्टिक के उत्पाद नज़र आते हैं और ये प्लास्टिक हमारे वातावरण को दूषित करने के साथ ही कई तरह की बीमारियां भी फैला रहे हैं।

प्लास्टिक में होता है माइक्रोप्लास्टिक

दरअसल प्लास्टिक, माइक्रोप्लास्टिक से बनते हैं और ये माइक्रोप्लास्टिक ही प्रदूषण का कारण बनते हैं। ये इतने महीने होते हैं कि कब हमारे शरीर के अंदर चले जाते हैं हमें मालूम ही नहीं होता है। हमारे दैनिक जीवन के उत्पाद पूरी तरह से प्लास्टिक पर आश्रित हो गये हैं और इस प्लास्टिक के जरिये ही माइक्रोप्लास्टिक हमारे शरीर के अंदर जा रहे हैं।

क्या हैं माइक्रोप्लास्टिक?

पांच मिलीमीटर से कम डायमीटर के कणों को माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता हैं और ये नग्न आंखों से नहीं दिखते हैं। इस कारण कई बार हमें पता भी नहीं चलता कि ये कब हमारे अंदर जा रहे हैं और फिर हम एक गंभीर रोग के शिकार हो जाते हैं। आजकल खाने पीने की हर चीज के साथ प्लास्टिक के सूक्ष्म कण यानि माइक्रोप्लास्टिक भी शरीर में चले जाते हैं, जो कि बहुत हानिकारक होते हैं।

इंसानी मल में मिले माइक्रोप्लास्टिक

अब तक विशेषज्ञ इस बात की ही संभावना व्यक्त करते थे कि माइक्रोप्लास्टिक हमारे अंदर जाएंगे तो हम बीमार पड़ जाएंगे। लेकिन हाल ही में इंसानी मल में माइक्रोप्लास्टिक के कण मिले हैं। इंसानी मल में माइक्रोप्लास्टिक के कण मिलने का मतलब है कि ये हमारे अंदर जाने लगे हैं और अब हम प्लास्टिक खा रहे हैं।

मल में 9 अलग तरह के प्लास्टिक मिले

शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन के दौरान इंसानी मल में पहली बार माइक्रोप्लास्टिक कण का पता लगाया है। अध्ययन में शामिल हुए 8 प्रतिभागियों में से प्रत्येक के मल नमूने में माइक्रोप्लास्टिक कण मिले जिसके तहत 9 अलग-अलग तरह के प्लास्टिक की पहचान की गई। बतौर शोधकर्ता, मल के प्रत्येक 10 ग्राम नमूने में औसतन 20 माइक्रोप्लास्टिक कण पाए गए।

इंसानी प्रजाति खतरे में

मल में प्लास्टिक मिलने का मतलब है कि अब इंसान गंभीर बीमारियों की चपेट में है और इसे बीमार होने से कोई बचा नहीं सकता। क्योंकि अब भी ऐसी कई गंभीर बीमारियां नहीं है जिनका इलाज हमारे पास नहीं है। ऐसे में और अधिक गंभीर बीमारियों का कारक पैदा करना इंसानी प्रजाती को खतरे में डालने के बराबर है।

प्लास्टिक का प्रदूषण – आपके सतर्क हो जाने का समय हो गया है और खुद को हेल्दी रखना शुरू कर दें। जितना अच्छा हो सके तो प्लास्टिक से दूरी बरत लें। इसमें ही आपकी भलाई है।

Tripti Verma

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Tripti Verma

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