हर साल आश्विन मास की कृष्ण पक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म किया जाता है। हिंदू धर्म में श्राद्ध को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया गया है।
श्राद्ध कुल 16 दिनों के होते हैं और इन दिनों में पितरों की शांति के लिए तर्पण किया जाता है।
यदि किसी वजह से आप अपने परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु के उपरांत उसका श्राद्ध नहीं कर पाएं हैं तो पितृ पक्ष के 16 दिनों में उस आत्मा की शांति के लिए तर्पण कर सकते हैं।
तो चलिए जानते हैं कि पितृपक्ष में श्राद्ध के दिनों में किस तिथि पर किसका श्राद्ध किया जाता है।
पितृपक्ष में श्राद्ध –
पहला श्राद्ध : पितृ पक्ष में प्रथम श्राद्ध 24 सितंबर को है। इस पूर्णिमा तिथि पर उन मृत जनों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु पूर्णिमिा तिथि को हुई हो।
दूसरा श्राद्ध : 25 सितंबर को दूसरा श्राद्ध होगा। इस दिन प्रतिपदा तिथि है।है। इस दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु प्रतिपदा तिथि को हुई हो। इसके अलावा नाना-नानी का श्राद्ध भी इस दिन किया जाता
तीसरा श्राद्ध : 26 सितंबर को द्वितीय श्राद्ध है। इस दिन द्वितीय तिथि को मृत्यु को प्राप्त होने वाले लोगों का तर्पण किया जाता है।
चौथा श्राद्ध : इसे तृतीय श्राद्ध के नाम से जाना जाता है। इस दिन तृतीय तिथि पर मृत्यु को प्राप्त हुई मृतात्माओं की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। ये श्राद्ध 27 सितंबर को है।
पांचवा श्राद्ध : 28 सितंबर को चतुर्थी का श्राद्ध है। अगर आपके परिवार में किसी की मृत्यु चतुर्थी तिथि को हुई है तो उनका तर्पण इस तिथि पर करें।
छठा श्राद्ध : 29 सितंबर को इस पंचमी श्राद्ध पर पंचमी तिथि को दिवंगत हुए व्यक्ति का तर्पण किया जाता है। कुंवारे मरे लोगों का श्राद्ध भी इस दिन किया जाता है।
सातवां श्राद्ध : 30 सितंबर को षष्ठी तिथि पर मरे लोगों का श्राद्ध किया जाता है।
आठवां श्राद्ध : 1 अक्टूबर को सप्तमी तिथि को श्राद्ध कर्म किया जाएगा। सप्तमी तिथि पर मृत लोगों का इस दिन तर्पण किया जाता है।
नौवा श्राद्ध : 2 अक्टूबर को अष्टमी तिथि पर पूर्वजों का श्राद्ध करने का विधान है।
दसवां श्राद्ध : 3 अक्टूबर को नवमी श्राद्ध है। इस दिन माता एवं परिवार की सभी स्त्रियों का श्राद्ध किया जाता है। इसे मातृ नवमी श्राद्ध भी कहा जाता है।
ग्यारहवां श्राद्ध : इस दशमी तिथि यानि 4 अक्टूबर को उन लोगों का तर्पण किया जाता है जिनकी मृत्यु दशमी तिथि पर हुई हो।
बारहवां श्राद्ध : 5 अक्टूबर को एकादशी तिथि पर उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु एकादशी तिथि पर हुई हो।
तेरहवां श्राद्ध : द्वादश तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु द्वादश तिथि को होती है या जो लोग मृत्यु से पूर्व सन्यास ले चुके हों। ये श्राद्ध 6 अक्टबूर को है।
चौदहवां श्राद्ध : त्रयोदशी तिथि को उन लोगों का तर्पण किया जाता है जिनकी मृत्यु त्रयोदशी तिथि को होती है। घर के मृत बच्चों का श्राद्ध करने के लिए भी इस तिथि को शुभ माना जाता है। ये श्राद्ध 7 अक्टबूर को है।
पंद्रहवा श्राद्ध : इस तिथि पर उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी हत्या किसी धारदार हथियार से की गई हो। ये श्राद्ध तिथि 8 अक्टूबर को है।
सोलहवां श्राद्ध : अमावस्या तिथि यानि 9 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या भी कहा जाता है। अगर आपको अपने पूर्वजों की मृत तिथि ज्ञात नहीं है तो आप इस दिन उनका श्राद्ध कर सकते हैं। इसके अलावा अमावस्या, पूर्णिमा और चतुर्दशी तिथि को मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों का श्राद्ध किया जाता है।
इस प्रकार पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करके आप अपने मृतजनों को प्रसन्न कर उनकी कृपा पा सकते हैं।