यूं तो देश में हो रही आतंकवादी घटनाओं पर आधारित कई यादगार फ़िल्में बनी चुकी है जैसे रोजा, बॉम्बे, सरफरोश, और बेबी!
ये फिल्में भारत में एक बड़ी समस्या बन चुकी आतंकवाद के बैकड्राप के इर्द-गिर्द बुनी गई है.
पिछले कुछ सालों में इंडियन फ़िल्ममेकर्स इंटरनेशनल टेरेरिज्म की समस्या पर भी अपना ध्यान फोकस कर रहे है.
अमेरिका में 9/11 पर हुए हमलों के बाद ये ट्रेंड और बढ़ताा ही जा रहा है.
आईए देखते है फ़ैटम अलावा किन बॉलीवुड मूवीज़ में टेरेरिज्म को फोकस किया गया.
फ़ैटम –
न्यूयार्क के बाद डायरेक्टर कबीर खान 9/11 के बैकड्राप पर एक और फ़िल्म लेकर आ रहे है. इस फ़िल्म में कबीर खान 26/11 के मुंबई हमलों के बाद के घटनाक्रम पर आधारित है. इसमें वैश्विक आतंकवाद का मुद्दा भी उठाया गया है. फ़िल्म की स्टोरी मुम्बई अवेंज़र्स नाम की बुक पर आधारित है. इस फ़िल्म में सैफ़ अली खान और कैटरीना कैफ़ को जासूसों के रूप में मेन रोल में लिया गया है
न्यूयार्क–
इस फ़िल्म में 9/11 के अलावा कैटरीना कैफ जॉन अब्राहम और नील नीतिन मुकेश के लव ट्राइंगल को दिखाया गया था. न्यूयॉर्क की कहानी साल 1999 से आरम्भ होती है और 2008 में पूरी होती है जो तीन न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे तीन स्टूडेंट्स की कहानी दिखाई जाती गई है जो कि अपनी हंसते खेलते अपनी पढ़ाई में बिजी है. लेकिन 9/11 के बाद कैसे इनकी जिंदगी बदल जाती है ये दिखाया गया है. साथ ही ये बताया गया है कि हमले के बाद एक खास समुदाय के लिए अमेरिकी सरकार के रवैये में कैसे अचानक बदलाव होता है और इन्वेस्टीगेशन के दौरान हुई बेइज्जती का बदला लेने के लिए एक स्टूंडेंट आतंकवाद के तरफ मुड़ जाता है इस फ़िल्म में टेरेरिज्म के इश्यू को काफी सेंसिटिव और अनबॉयस्ड रुप से दिखाया गया है.
कुर्बान–
9/11 के बाद अमेरिका में मुसलमानों की स्थिति और अमेरिका के खिलाफ मुसलमानों की नाराजगी को इस फिल्म में अच्छी तरह से दिखाया गया हैं. फिल्म के पहले हिस्से में करीना कपूर और सैफ अली खान की प्रेम कहानी दिखाई गई है. फिल्म की कहानी शुरु होती है दो प्रोफेसर करीना कपूर और सैफ अली खान की एक विश्वविद्यालय में मुलाकात से और उसके प्यार में बदलने से. दोनों शादी करने का फैसला करते हैं. करीना को अमेरिका जाने के बाद पता चलता है कि उसका पति एक टेरिरिस्ट है. लेकिन फ़िल्म के आखिर में सैफ को जिहाद के बजाए करीना कपूर के बताए रास्ते यानि प्यार पर कुर्बान होते हुए बताया गया है.
माय नेम इज़ ख़ान–
इस फ़िल्म में शाहरुख खान ने रिजवान नाम के एक एस्पाईजर सिनड्रोम से ग्रस्त लड़के का किरदार निभाया जो कि मां की मौत के बाद अपने भाई के साथ रहने अमेरिका आता है. वहां उसकी मुलाकात एक हिंदू लड़की मंदिरा से होती है जिसका पति उसे छोड़कर चला जा चुका हैं उसका एक बेटा भी है रिजवान और मंदिरा शादी कर लेते है.
इनकी प्रेम कहानी में तब अचानक तब मोड़ आता है जब अमेरिका में 9/11 का हमला होता है उसके बाद मुस्लमानो के लिए देश के लोगो का नजरिया बदल जाता है. स्कूल में हुई लड़ाई में मंदिरा के बेटे की मौत हो जाती है और मंदिरा को लगता है उसके पति के मुस्लिम होने की वजह से ऐसा हुआ है. जिसकी वजह मंदिरा रिजवान से कहती है की वह उसकी नज़रों से दूर हो जाये. रिजवान उससे पूछता है की उसे मंदिरा के साथ रहने के लिए क्या करना होगा. तो वह उससे कहती है की क्या वह अमेरिका के लोगों और राष्ट्रपति को बता सकता है की वह आतंकवादी नहीं है. रिजवान मंदिरा की बात को गंभीरता से लेता है और राष्ट्रपति से मिलने के लिए निकल पड़ता है. फ़िल्म के आखिर में मंदिरा को अपनी गलती का एहसास होता और काजोल और शाहरुख को मिलते हुए बताया गया है.
फैंटम एक ऐसी फ़िल्म है जिसके जरिए इंटरनेशनल टेररिज्म के मुद्दे को एक बार फिर उठाया जा रहा है.
अब देखना ये है कि क्या ये फ़िल्म न्यूयार्क की तरह दर्शकों के दिलों दिमाग को छूने में कामयाब रहेगी.
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