आप जब विदेशी मुस्लिम शासकों के समय की इतिहास की पुस्तकें पढ़ेंगे तो नजर आएगा कि कोई भी मुस्लिम शासक एक बड़े क्षेत्र या भारत का शासक नहीं रहा है.
यह बात थोड़ी झूठी लगती है कि मुस्लिमों ने भारत पर 400 साल तक राज किया है. आज हम आपको भारत के ऐसे इतिहास के अध्याय के बारें में बताने वाले हैं, जो आज किताब से ही फाड़ दिया गया है ताकि कोई भी इसे पढ़ नहीं पाए-
हिन्दू वीरों की विजयगाथा –
अफ़घानिस्तान के अटक से लेकर कटक तक और दाख्खान से दिल्ली तक मुस्लिम शासन को हिन्दू योद्धाओं ने उखाड़ फेंका था.
अफ़घानिस्तान पर आक्रमण करके मराठा सेना ने 45000 पठानो को काट दिया था और गांधार पर भगवा लहराया था. दिल्ली का गौरी शंकर मंदिर आज भी उस वीर हिदू गाथा का गवाह है जब वीर हिन्दू नायक बाजीराव पेशवा प्रथम ने मुगलों की ईंट से ईंट बजा कर दिल्ली पर भगवा झंडा फहराया था और 800 पुराने गौरी शंकर मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था.
(सबूत के लिए आप पुस्तक भारतीय संघर्ष का इतिहास पढ़ सकते हैं जिसके लेखक डा. नित्यानंद हैं.)
आइये पढ़ते हैं असली इतिहास
1719 के आसपास पेशवा बालाजी विश्वनाथ अपनी सेना लेकर दिल्ली आये थे और यहाँ इन्होने दिल्ली की राजनीति में सैयद बंधुओं की सहायता की थी. इसी का परिणाम यह हुआ था कि दक्षिण के क्षेत्र पर चौथ व सरदेशमुखी वसूल करने का अधिकार प्राप्त किया था.
यहाँ पर सैयद बंधुओं के साथ कुछ संधियाँ भी हुई थीं-
1. शाहू को शिवाजी के वे प्रदेश लौटा दिये जायेंगे, जिन्हें वह ‘स्वराज’ कहता था.
2. हैदराबाद, गोंडवाना, ख़ानदेश, बरार एवं कर्नाटक के वे प्रदेश भी शाहू को वापस कर दिये जायेंगे, जिन्हे मराठों ने हाल ही में जीता था.
3. दक्कन के प्रदेश में मराठों को ‘चौथ’ एवं ‘सरदेशमुखी’ वसूल करने का अधिकार होगा, जिसके बदले मराठे क़रीब 15,000 जवानों की एक सैनिक टुकड़ी सम्राट की सेवा हेतु रखेंगे.
4. शाहू मुग़ल सम्राट को प्रतिवर्ष लगभग दस लाख रुपये का कर खिराज देगा.
5. मुग़ल क़ैद से शाहू की माँ एवं भाई समेत सभी सगे-सम्बन्धियों को आज़ाद कर दिया जायेगा.
इसके बाद पेशवा बालाजी विश्वनाथ उन्नीस वर्ष की उम्र में ही पेशवा बने और इन्होनें मालवा, गुजरात और चम्बल का क्षेत्र जीत लिया.
ऐसा बोला जाता है कि इनका अधिकाश समय घोड़े की पीठ पर ही बिता था. पेशवा बालाजी विश्वनाथ के काल में रघूजी भोंसले ने उड़ीसा जीत लिया था और बिहार व बंगाल में चौथ वसूल की थी. साथ ही साथ तुकाजी होलकर व साबाजी सिंधिया ने अटक तक विजय प्राप्त कर ली थी. इस प्रकार इन भारतीय वीर योद्धाओं ने विदेशी मुस्लिम शासकों की जड़ ही हिला दी थी.
अटक से कटक तक हिन्दुओं का भगवा झंडा ही लहरा रहा था. दिल्ली का बादशाह भी बस नाममात्र का हो गया था. असली शासन तो मराठों के हाथ में आ गया था.
अब आप ही बतायें कि जब हमारी पुस्तकें यह इतिहास नहीं बतायेंगी तो क्या हमारी किताबों को झूठा नहीं बोला जाएगा? आज भारत के युवाओं को भारत का असली इतिहास पढने की विशेष आवश्यकता है.
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