कंगना रनौत – नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी – नरेंद्र मोदी – महेंद्र सिंह धोनी
ये सूची बढ़ती ही जायेगी, ख़त्म होते-होते जाने और कितने नाम इस में जुड़ जाएँगे!
आप सोच रहे होंगे कि मैं क्यों इन लोगों का नाम ले रहा हूँ| इन सब में अगर एक बात मिलती है तो वो ये है कि यह सभी दिग्गज और सफ़ल लोग भारत के छोटे-छोटे गाँव और प्रदेशों से आये हुए हैं! ये सब छोटे शहर वाले है.
भारत जितनी तेज़ी से तरक्की कर रहा है, उतनी ही तेज़ी से शहर बड़े और बड़े से बड़े होते जा रहे हैं| इन शहरों में रहने वाले बच्चों और युवाओं को ज़िन्दगी में कुछ कर दिखाने के, कुछ बन पाने के, अपने सपने पूरे कर पाने के ढेरों अवसर मिलते हैं| लेकिन छोटे शहरों में तो सादी सी जीविका ही चल पाये, वही बहुत है| टीवी पर या अख़बारों में देश के सफ़ल्तम लोगों के बारे में देख-पढ़ लिया, बहुत हो गया| लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग ऐसे हैं जो हर मुश्किल का सामना करते हुए अपने सपनों को अंजाम देने के लिए इन बड़े शहरों की भट्टी में अपने को झोंक देते हैं!
इसके पीछे मुख्य कारण यही होता है कि सफ़ल होने की आग इन छोटे शहरों से आये लोगों में ज़्यादा होती है|
जब अपना घर, अपने अपनों को छोड़ कर दिन-रात धक्के खाने पड़ते हों, ज़िन्दगी जीने के लिए हर लम्हा एक लड़ाई बन जाए तो इरादे और भी मज़बूत हो जाते हैं| मुश्किलें दोस्त बन जाती हैं और तकलीफों से याराना हो जाता है! फिर सिर्फ़ यही जज़्बा होता है कि किसी भी तरह जीत हासिल करनी है, कुछ कर दिखाना है!
ऐसा नहीं है कि बड़े शहरों में रहने वालों के अंदर वो बात नहीं होती लेकिन मनुष्य की सोच ही कुछ ऐसी है|
जहाँ कुछ आसानी से मिल जाता है, वहाँ ज़्यादा मेहनत नहीं करते! और जिसे पाना मुश्किल हो, उसके लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा देते हैं!
भारत हमेशा से गाँव-कस्बों में रहा है लेकिन कोई देख नहीं पाता था| आज वहाँ से आई इन सफ़लताओं की कहानियों ने उस छुपे हुए भारत को उजागर कर दिया है! उम्मीद है ऐसे ही और भी लोग अपना और हमारे देश का नाम रोशन करेंगे!
बस जीतने की भूख क़ायम रखना, मंज़िल अपने आप चल के तुम्हारे पास आएगी!