पेडीक्योर और मैनीक्योर तो स्त्रियों की विशेषज्ञता के क्षेत्र हैं. लेकिन आदमी भी इसका आनंद लेते नज़र आ सकते हैं. कुछ पुरुष होते हैं जो पेडीक्योर और मैनीक्योर का मज़ा ले लेते हैं और कुछ होते हैं जो नहीं ले पाते.
तरह-तरह के डर और आशंकाएं आँखों के सामने सदा मंडराती रहती हैं.
कुछ को तो पेडीक्योर और मैनीक्योर का भय भी होता है, भीषण भय.
पेडीक्योर और मैनीक्योर से सम्बंधित और कई डर होते हैं जो पुरुषों को भयभीत करते रहते हैं.
1. उपकरणों का दर.
पुरुषों के तो सिर्फ उपकरण देखकर ही पसीने छूट जाते हैं. पेडिक्योर और मैनीक्योर तो दूर की बातें हैं.
2. दोस्त देख लेंगे तो हँसेंगे.
ऐसा होना संपूर्णतः संभव है कि पेडीक्योर/मैनीक्योर कराते वक़्त आपके दोस्त आपको देख लें और फिर ज़िन्दगी भर आपका मज़ाक उड़ाते रहें.
3. शर्म नहीं आती!?
पुरुष तो होते ही शर्मीले हैं. लेकिन कोई और पुरुष या महिला उनके पैरों की मालिश करना शुरू कर दे तो यह शर्म एक कदम और आगे बढ़ जाती है.
4. खून!!!!!
नहीं-नहीं! वैसा वाला खून नहीं. अगर नाखून ज्यादा कट गया तो खून आ आजाएगा! फिर पैर सड़ने लगेगा और फिर पैर काटना पड़ेगा! नहीं!!!
5. अगर मेरे पैरों पर उसने नेल-पेंट लगा दिया तो?
यह डर पुरुषों के कई डरों से बढ़कर होता है.
6. पैसे पेड़ में उगते हैं क्या?
पैरों की सफाई के लिए सैकड़ों रूपए खर्च करना कहाँ की समझदारी है? बताओ? हँ?
लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह सब डर और सोचने की विचार-धरा सही है. अगर आपको पेडीक्योर और मैनीक्योर करवाना है तो वह आप पर निर्भर करता है. भला क्यों ना आराम फरमाया जाए? कोई पाप थोड़े ही है.
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