दोस्तों का इस उम्र में सबसे गहरा असर पड़ता है. अक्सर लोग इस पर ध्यान देते हैं कि उनके दोस्त और साथी क्या पहनते हैं, क्या खाते हैं और वही चीज़ वे भी करना चाहते हैं ताकि उनके साथ रह सकें. एक अलग प्रकार का आकर्षण इस उम्र में होता है किशोरों के बीच और चूँकि वो कई तरह के शारीरिक बदलाव से भी गुज़रते हैं तो इस कारण कई बार उनके व्यवहार में भी बदलाव आता है.
बढ़ते फ़ोन के इस्तेमाल ने भी साड़ी चीज़ों पर बुरा असर डाला है. इनकी वजह से किशोरे अपनी पढाई पर अची तरह से ध्यान नहीं दे पाते हैं और इससे उनके करियर पर भी बुरा असर पड़ता है जो उनके भविष्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है.
पीयर प्रेशर या साथियों के दबाव का सबसे ज्यादा असर होता है किशोरों की बुरी आदतों पर जैसे ड्रग्स और शराब का सेवन. ऐसा मानना है कि भारत में करीब ३०% किशोर इन बुरी आदतों से घिरे हुए हैं.
देश की कई संस्थानें इस किशोरों की इस गंभीर समस्या से लड़ रही है. ये किशोरे ही हैं जो हमारे देश का आने वाला कल है और इसलिए ज़रूरी है कि हमारे भविष्य की नीव मज़बूत हो.