इस समय बच्चों पर उनके आस-पास के लोग और दोस्तों का प्रभाव ज्यादा रहता है और कई बार उनके दबाव में आकर वे ऐसी कई गलत चीज़ों में पड़ जातें हैं जिसका खामियाजा उन्हें कई बार भुगतना पड़ सकता है. इसी के साथ ही किशोरों की इस समय परिवार से एक अलग प्रकार की दूरी भी बना लेते हैं. उन्हें अपने हमउम्र का साथ और बातें सही लगती न की अपने माता और पिता की.
इस तरह से येही उम्र होती है जब लोग अपने आस-पास के दोस्त, स्कूल के सीनियर्स और उनके संपक में आते हैं. हर किशोर इस उम्र में साथियों द्वारा एक तरह के दबाव से गुज़रता है. कई लोगों के साथ साथी द्वारा या एक समूह द्वारा बुरा बर्ताव होने के कारण भी कई प्रकार के नतीजे निकल सकते हैं. बहुत से बच्चे इस बीच नादानी में कुछ अप्रिय घटना होने के कारण डिप्रेशन में भी चलें जाते हैं जिससे की उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है.