पेटीएम संस्थापक विजय शेखर शर्मा – आमतौर पर माना जाता है कि स्कूल-कॉलेज की फर्स्ट बेंच पर बैठने वाले बच्चे बड़े होनहार होते हैं और वही ज़िंदगी में सफल बनते हैं और लास्ट बेंच पर बैठने वाले नाकाम होते हैं।
लेकिन ये बात हमेशा सच हो ज़रूरी नहीं। आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो कॉलेज की लास्ट बेंच पर बैठता था, लेकिन आज करोड़पति है.
हम बात कर रहे हैं मोबाइल वॉलेट पेटीएम संस्थापक विजय शेखर शर्मा की. जो कभी अंग्रेज़ी के खौफ के कारण कॉलेज की लास्ट बेंच पर बैठते थे. आपको बता दें कि हाल ही में अरबपति निवेशक वारेन बफे की बर्कशायर हैथवे ने उनकी डिजिटल भुगतान कंपनी पेटीएम में 2500 करोड़ रुपये का निवेश किया है. अरबपति वॉरेन बफे का इस फर्म में निवेश करना इसलिए भी खास है क्योंकि वह ज्यादातर इंटरनेट फर्मों में इन्वेस्टमेंट से कतराते रहे हैं. वारेन बफे का किसी भी भारतीय स्टार्टअप कंपनी में यह पहला इन्वेस्टमेंट होगा.
ज़ाहिर है पेटीएम संस्थापक विजय शेखर शर्मा के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है, मगर आज अरबों का बिज़नेस कर रहे विजय के लिए सफलता की राह इतनी आसान नहीं थी.
हिंदी मीडियम से पढ़े विजय का एडमिशन जब दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में हुआ तब उन्हें वहां बहुत समस्या हुई क्योंकि वो अंग्रेज़ी में बहुत कमज़ोर थे. इस वजह से उन्हें कॉलेज में शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता था फिर वो डर के मारे लास्ट बेंच पर बैठने लगे.
एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था, ‘जब दिल्ली स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में उन्होंने दाखिला लिया तो मुझे इंग्लिश समझने में काफी दिक्कत हुई. शुरुआत में मैं पहली बेंच पर बैठने वाला छात्र था, लेकिन इंग्लिश न समझने की वजह से मैं लास्ट बेंच पर बैठने लगा. क्योंकि कॉलेज के शुरुआती दिनों में टीचर को इंग्लिश में जवाब नहीं दे सकता था.’
मगर उन्होंने हार नहीं मानी और अंग्रेज़ी सीख ली. विजय की आर्थिक स्थिति भी कुछ अच्छी नहीं थी. कॉलेज में रहते हुए ही विजय ने Indiasite.net (XS) नाम की एक वेबसाइट शुरू की और कुछ सालों के अंदर उसे एक यूएस इन्वेस्टर को बेच दिया. जिससे उन्हें हर सप्ताह उन्हें लाखों रुपए मिलने लग गए. यह उनका पहला प्रॉफिटेबल वेंचर था.
विजय ने कुछ और प्रोजेक्टस पर भी काम किया, मगर संतुष्टी नहीं मिली. फिर अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर एक कंपनी बनाई- XS Corps. उनकी फर्म कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम बनाने का काम करती थी. इसके बाद कुछ पैसे जुटाकर One97 नाम से एक कंपनी स्टार्ट की जो पेटीएम की पेरेंट कंपनी थी.
साल 2011 में उनकी ज़िंदगी सबसे अहम वक्त आया जब उन्होंने बोर्ड के सामने पेटीएम इकोसिस्टम का आइडिया दिया. विजय ने 2011 में मोबाइल वॉलेट पेटीएम के साथ ही ई- कॉमर्स कारोबार पेटीएम मॉल और पेटीएम पेमेंट्स बैंक भी खड़ा किया. बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स ने दुनिया के तमाम धनवानों की इस साल की लिस्ट में उनका नाम भी शामिल था.
पेटीएम संस्थापक विजय शेखर शर्मा की सफलता से उन नौजवानों की सीख मिलेगी जो अपनी किसी कमज़ोरी से डरकर आगे नहीं बढते. अगर आपकी भी कोई कमज़ोरी है तो उससे डरने की बजाय उसे दूर करिए फिर देखिए सफलता कैसे आपके कदम चूमती है.
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