पेटीएम का कर्मचारी आतंकी – आतंकवाद हमार देश की एक समस्या है जिसे खत्म करने का आज तक हम कोई सही हल नहीं निकाल पाए हैं ।
आंतकवाद का सबसे प्रभाव कश्मीर के युवाओं पर जिन्हें आंतकी सगंठन जबरदस्ती या फिर माइंड वॉश करके अपने संगठन में शामिल कर लेते हैं ।
कश्मीरी युवाओं का आंतकी संगठनों में सम्मिलित होना कही ना कही हमारे देश को कमजोर कर रहा है । वहीं सरकार अगर आंतक प्रभावित इलाकों में ऩई नीति बनाकर सुधार करना भी चाहे तो कश्मीर के अलगाववादी नेता उसे मुक्मल होने नहीं देते है । पिछले साल सीबीआई ने कई अलगावादी नेताओं के आंतकी संगठनों के साथ मिले होने की आशंका भी जताई थी । रिपोर्टस के अनुसार अलगावदी नेताओं के जरिए ही आंतकी संगठनों को फँडिग होती है ।
लेकिन सरकार इन लोगों पर शिंकाजा कसने में अब तक नाकामयाब रही है, क्योंकि इन नेताओं की कश्मीरी लोगों के बीच काफी लोकप्रियता है । लेकिन हाल ही में हुए वाक्य ऩे सबको ये साबित कर दिया कि कही सच में अलाववादी नेता और आंतकी संगठनों का कोई ता्ल्लुक तो नहीं है ।
दरअसल कश्मीर का जुनैद जो कुछ वक्त पहले तक पेटीएम में अपनी अच्छी खासी नौकरी कर रहा था ।
चार महीने पहले पेटीएम का कर्मचारी आतंकी बन गया. अपनी नौकरी छोड़ आंतकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया और दिलचस्प बात ये है कि पेटीएम छोड़ आतंकी संगठन में शामिल होने वाला लड़का ओर कोई नहीं अलगाववादी संगठन तहरीक ए हुर्रियक के प्रमुख अशरफ सहराई का बेटा है । जिसके लिए कयास लगाई जा रही था कि वो अपने पिता के बाद तहरीक ए हुर्रियत को संभालेगा ।
आपको बता दें अशरफ सहराई ने हाल ही में 18 मार्च को ही हुर्रियत के प्रमुख का पद संभाला था और उनके पद संभालने के कुछ दिन बाद 25 मार्च को उनके बेटे जुनैद की सोशल मीडिया पर एक फोटो तेजी से वायरल हुई जिसमें जुनैद हाथ में एके 47 राइफल लिए हुए थे।
एक अनपढ़ व्यक्ति का माइंड वॉश करके उसका आंतकी संगठन में शामिल होना समझ आता है ।
लेकिन जुनैद जैसे पढ़े लिखे लड़के का जिसका ताल्लुक राजनीति से है उसका यूं हिजबुल मुजाजहिदीन में शामिल होना कश्मीरी युवाओं में एक गलत संदेश दे रहा है । क्योंकि जुनैद के ऐसा करने से अब जुनैद से प्रभावित दूसरे कश्मीरी युवा भी आतंकी संगठनो में शामिल होने लगेंगे । वैसे आपको बता दें हिजबुल मुजाहिदीन के कंमाडर बुरहान वानी की मौत के बाद बहुत कश्मीरी युवा बुरहान वानी से प्रभावित होकर हिजबुल मुजाहिदीन संगठन में शामिल हुए है । लेकिन हैरानी की बात ये है कि जहां कुछ कश्मीरी परिवार जिनके बच्चें आतंकी संगठनों में शामिल हो गए वो अपने बच्चे से घर वापसी की दुहाही दे रहे है ।और अपनी गलती सुधारने को कह रहे हैं । वहीं अशरफ सहराई के अनुसार उनके बेटे ने कोई गलत रास्ता नहीं चुना जो उसकी इच्छा थी उसने वहीं किया । अब उसकी रखवाली अल्हा करेगा । अशरफ सहराई के अनुसार उनके बेटे ने महसूस किया कि उनके साथ जुल्म हो रहा है ।इसलिए उसने ये राह चुनी ।
इस तरह से पेटीएम का कर्मचारी आतंकी बन गया. आपको बता दें अलागवादी नेताओं की शुरु से कश्मीर को भारत से अलग करने की मांग रही है। लेकिन अफसोस की बात है कि इन अलगावदी नेताओं की बात में आकर इनके बच्चे और कश्मीरी युवा आंतक की राह पर जा रहे हैं।
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