संघर्ष करनेवालों की कभी हार नहीं होती है.
जो अपने जीवन में संघर्षों से मुंह नहीं मोड़ते, उन्हीं पर किस्मत मेहरबान होती है.
इस कहावत को सच किया है चेन्नई की पेट्रीसिया नारायण ने.
कभी मरीना बीच पर कॉफी और कटलेट बेचनेवाली पेट्रीसिया नारायण ने 50 पैसे कमाकर अपनी कमाई को दो लाख तक पहुंचाने के इस चुनौतीपूर्ण सफर को किस तरह से आसान बनाया, जो आज लोगों के लिए एक मिसाल बन गई.
आइए जानते हैं कि पेट्रीसिया नारायण के जीवन के संघर्ष की कहानी, जो हम सबके लिए प्रेरणादायक साबित हो सकती है.
लव मैरेज ने तबाह की ज़िंदगी
पेट्रीसिया नारायण का जन्म ईसाई परिवार में हुआ था.
अपने परिवार के खिलाफ जाकर पेट्रीसिया ने एक ब्राह्मण लड़के से लव मैरेज कर लिया. शादी के बाद उसके पति ने न सिर्फ नौकरी छोड़ दी बल्कि शराब और नशे को अपना साथी बना लिया.
पेट्रीसिया अपने पति के तमाम अत्याचारों को सहती रही और उसने दो बच्चों को जन्म दिया. जब पति का अत्याचार हद से ज्यादा बढ़ गया तो उसने अपने बच्चों के भविष्य के लिए अपने पति से अलग होना ही बेहतर समझा.
पहले दिन कमाए थे 50 पैसे
अपने पति से अलग होने के बाद अपना और अपने बच्चों का पेट भरने के लिए पेट्रीसिया ने कुकिंग के हुनर को अपना हथियार बनाया. पेट्रीसिया ने एक ठेला लगाकर मरीना बीच पर कॉफी और कटलेट बेचने का काम शुरु किया.
लेकिन पहले दिन सिर्फ एक कॉफी बिकी और 50 पैसे की आमदनी हुई.
इस बात से पेट्रीसिया काफी निराश हुईं, तब उनकी मां ने हौसला बढ़ाते हुए और ज्यादा मेहनत करने के लिए प्रेरित किया.
पेट्रीसिया की कड़ी मेहनत अपना रंग दिखाने लगी और साल 1982 से 2003 के बीच पेट्रीसिया की दिन की कमाई 50 पैसे से बढकर 25000 रुपए हो गई.
ट्रेनिंग स्कूल में कैंटीन लगाया
मरीना बीच के बाद पेट्रीसिया ने स्लम क्लियरेंस बोर्ड और नेशनल मैनेजमेंट ट्रेनिंग स्कूल में कैंटीन लगाई. इस कैंटीन के ज़रिए अब पेट्रीसिया की कमाई बढ़कर एक लाख रुपये प्रति हफ्ते तक पहुंच गई.
एक हादसे ने पूरी तरह तोड़ दिया
जब पेट्रीसिया नारायण का बिजनेस चल निकला तब उसने साल 2003 में अपनी बेटी की शादी कर दी और बेटा प्रविण मर्चेंट नेवी में नौकरी कर रहा था.
बेटी की शादी के बाद पेट्रीसिया अपना पहला रेस्टॉरेंट शुरु करनेवाली थीं कि एक कार एक्सीडेंट में उनकी बेटी और दामाद की मौत हो गई. इस दुर्घटना ने उन्हें तोड़ दिया और वो अपने वेंचर्स से दूर होने लगीं.
संदीपा रेस्टॉरेंट की शुरूआत
इस हादसे के बाद पेट्रीसिया नारायण के बेटे प्रवीण कुमार ने जिम्मेदारी संभाली और अपनी बहन की याद में ‘संदीपा’ नाम से पहले रेस्टॉरेंट की शुरूआत की.
संदिपा के 14 आउटलेट्स
दो कर्मचारियों से शुरूआत करनेवाली पेट्रीसिया नारायण के पास आज 200 कर्मचारी हैं और उनकी खुद की रेस्टॉरेंट चेन है. संदीपा रेस्टॉरेंट के चेन्नई में आज करीब 14 आउटलेट्स चल रहे हैं. जिससे आज पेट्रीसिया नारायण की रोज़ की कमाई दो लाख रुपये तक पहुंच गई है.
2010 में मिला खिताब
यह तो पेट्रीसिया नारायण की मेहनत और लगन का ही नतीजा था कि उन्हें साल 2010 में ‘फिक्की एंटरप्रॉन्यॉर ऑफ द ईयर’ का खिताब भी मिल चुका है.
कई लोग ऐसे हैं, जो कुछ पाने के लिए सपने तो देखते हैं लेकिन संघर्षों से घबराकर हार मान लेतें है.
ऐसे ही लोगों के लिए पेट्रीसिया नारायण एक मिसाल हैं, जिन्होंने ये साबित किया है अगर आप निरंतर संघर्ष करते हैं तो एक न एक दिन किस्मत भी आपके आगे झुकने के लिए मजबूर हो जाती है.
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