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पतंजलि- योग का व्यापारी सितारा और योग का रचयता गर्दिश में!

आज यानी 21 जून को सबसे पहला विश्व योग दिवस है और हम इस मौके पर आपके सामने पेश कर रहे हैं उस महापुरुष के बारे में कुछ जानकारी  जिसने योग को उसकी पहचान दी और जिसकी वजह से योग को जीवन मिला.

हम उस महापुरुष की बात करेंगे जिसने योग का आविष्कार किया, जिसने योग को स्थापित किया.

जी हाँ! हम आज बात करेंगे पतंजलि की.

आप अगर योग क्लासेज़ जा रहे हैं तो आपने योग सूत्र के उद्धरण ज़रूर सुने होंगे.

योग सूत्र योग पर लिखी गई सबसे पहली किताब मानी जाती है और ऐसा माना जाता है कि यह किताब करीब 2000 साल पहले लिखी गई थी. लेकिन क्या आपको पता है कि इस किताब को लिखनेवाला कौन था? इस किताब को लिखनेवाले थे पतंजलि.

चलिए हम जानने की कोशिश करते हैं कि पतंजलि वाकई में थे कौन और वे कहाँ से आए थे.

देखिये, सच तो यह है कि इस बात को कोई नहीं जानता.

कोई कहता है कि उनका जन्म करीब 2500 साल पहले हुआ था तो कोई कहता है कि उनका जन्म उससे भी पहले हुआ था.

कोई कहता है कि उनका जन्म आज के उत्तर प्रदेश के गोंडा इलाके में हुआ था तो कोई कहता है कि वे कश्मीर के रहनेवाले थे. यह भी सुनने में आया है कि उनका जन्म दक्षिण भारत में हुआ था. दरअसल बात यह है कि पतंजलि नाम के कई लेखक और विद्वान् थे और इसलिए योगसूत्र लिखनेवाले पतंजलि का पता चलना बहुत मुश्किल है.

आप इस कार्य को नामुमकिन भी कह सकते हैं.

उनके जन्म के बारे में कई किस्से मशहूर है. एक किस्सा इस तरह है कि धरती पर मनुष्यों को योग सिखाने के लिए पतंजलि को स्वर्ग से धरती पर उतारा गया था. एक और किस्सा भी मशहूर है कि वे सेष नाग के अवतार हैं, वही सेष नाग जिनपर विष्णू जी विश्राम करते हैं. अब इनमे में से कौनसी कहानी सच्ची है और कौनसी झूठी, इसका पता लगाना काफी मुश्किल है.

मज़े की बात यह है कि आज के ज़माने में जो योग गुरु हैं, उन्हें तो हमारी मीडिया ने सुपरस्टार की उपाधि दे रखी है लेकिन योग पर और उसके सिद्धांतों पर लिखी सबसे पहली किताब को लिखनेवाले योगी, पतंजलि के बारे में भला कोई कैसे नहीं जानता? खैर ये सब बातें महत्त्व की तो हैं लेकिन इनपर बहस करने से कोई फ़ायदा नहीं होनेवाला.

लेकिन सबसे ज़्यादा महत्त्व का सवाल है कि आखिर पतंजलि का मकसद क्या था? वे लोगों को योग क्यों सिखाना चाहते थे?

मेरे ख्याल से इसका जवाब जो आप सोचते हैं उससे कई ज़्यादा पेचीदा और कई ज़्यादा जटिल है. इसमें कोई सवाल नहीं कि पतंजलि लोगों का भला चाहते थे, वे चाहते थे कि धरती पर सभी का स्वास्थ्य बिलकुल सही रहे लेकिन उनका एक और मकसद था जिसे लोग अक्सर भूल जाया करते हैं.

वे चाहते थे कि आत्मा और परमात्मा का मिलन आसानी से हो जाए! जब आपके ह्रदय की धक्-धक् की आवाज़ ब्रम्हांडीय ॐ की आवाज़ से मिल जाती है, तब आप स्वयं बन जाते हैं. यानी आप स्वयं वही इश्वर बन जाते हैं जिनकी आप पूजा करते हैं, औत अंत में, चारो सिम्तों में अपने आप शान्ति फ़ैल जाएगी और जिस सुकून के लिए हम मनुष्य हमेशा रोया करते हैं, उसी सुकून के हम मालिक बन जाएंगे, यानी हम आत्म-संयम पा सकेंगे.

वे जानते थे कि यह कार्य योग से पूर्ण किया जा सकता है. और इसी सच्चाई से पर्दा हटाने के लिए पतंजलि ने जन्म लिया था

मेरे ख्याल से यही था महान पतंजलि का मकसद! मानवजाति को उस शक्ति से रूबरू कराना जो उसे सभी बंधनों से मुक्त कर दे.

यंगिस्थान की तरफ से आप सभी को विश्व योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! योग करें और खुदको पहचाने! खुदके के भीतर समाई अनंत शक्ति को जानें.

पढने के लिए धन्यवाद!

Durgesh Dwivedi

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Durgesh Dwivedi

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