इस बार दीवाली पर लोग पहले की तरह पूरे दिन-रात आतिशबाजी का मज़ा नहीं ले सकेंगे, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ 2 घंटे ही पटाखे जलाने की अनुमति दी है.
ऐसे बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए किया गया है. दरअसल, प्रदूषण की वजह से पटाखों की बिक्री पर बैन लगाने की मांग की गई थी. आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, केवल लाइसेंस धारक ही पटाखे बेच सकते हैं और लोग सिर्फ 2 घंटे ही पटाखे जला सकेंगे. रात 8 से 10 बजे तक की छूट दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्रिसमस और न्यू ईयर पर सिर्फ 20 मिनट ही आतिशबाजी और पटाखे फोड़ सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन पटाखे की बिक्री पर भी रोक लगा दी है.
अदालत ने कहा कि कम प्रदूषण वाले पटाखे ही जलाएं. सुप्रीम कोर्ट में पटाखों पर बैन से संबंधित एक याचिका दाखिल की गई थी जिस पर कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया. केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वकील का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश बहुत सख्त नहीं है. हम पूर्ण प्रतिबंध की उम्मीद कर रहे थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ है.
दूसरी ओर पटाखा बनाने वालों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि दिवाली के दौरान केवल पटाखों से ही प्रदूषण नहीं होता इसलिए इस उद्योग को पूरी तरह से बंद नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान वायु प्रदूषण की वजह से बच्चों में सांस की तकलीफ के बढ़ने को लेकर भी चिंता जताई थी और कहा था कि वह इस पर फैसला करेगी कि क्या पटाखे फोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा या ज़रूरी नियंत्रण किया जाएगा.
2017 में सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली के दौरान दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था.
दिल्ली में तो वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच ही चुका है, बाकी जगहों पर भी हवा में जहरीली गैस घुली हुई है. ऐसे में थोड़ी जिम्मेदारी तो लोगों की भी बनती है कि वो प्रदूषण कम करने के लिए खुद ही कदम उठाए, पटाखों की आतिशबाजी रोके. अपने पर्यावरण और हवा को साफ रखने के लिए उन्हें किसी बैन का इंतज़ार नहीं करना चाहिए.
आखिरकार जिस हवा को वो दूषित कर रहे हैं उसका खामियाजा तो उन्हें ही भुगतना होगा, तो क्यों नहीं वो खुद ही इसे साफ रहने की कोशिश करें.