भगवान परशुराम अपने क्रोध और आक्रामकता के लिए जाने जाते है, कहा जाता है कि वे विष्णु भगवान के छठे अवतार थे।
परशुराम का उल्लेख रामायण से लेकर महाभारत में देखने को मिलता है। उन्होंने अपने जीवन काल में 21 बार क्षत्रियों का नाश किया था। इस 21 बार क्षत्रियों का नाश किया और पृथ्वी को क्षत्रियविहीन करने के पीछे भी एक पौराणिक कथा है।
आइये जानते है 21 बार क्षत्रियों का नाश की पौराणिक कथा के बारे में।
इस पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि जमदग्नि और रेणुका को जिस पुत्र की प्राप्ति होगी वो पुत्र क्रूर कर्मी होगा।
जब जमदग्नि और रेणुका के घर परशुराम का जन्म हुआ तो किसी ने नहीं सोचा था कि परशुराम अत्यंत पराक्रमी होंगे और 21 बार क्षत्रियों का संहार करेंगे।
दरअसल एक बार राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन शिकार करते हुए जमदग्नि के आश्रम में पहुँच गया। मुनि जमदग्नि ने उसका आदर सत्कार किया। जमदग्नि के यहाँ पर कामधेनु गाय हुआ करती थी उसी के गोरस के भंडार से जमदग्नि वैभवशाली तरीके से सबका सत्कार किया करते थे। जब सहस्त्रबाहु ने कामधेनु गाय देखी तो उसने बिना पूछे बल पूर्वक कामधेनु को अपने साथ अपने नगर ले गया।
जब परशुराम आश्रम लौटे तो उन्हें सब बात का पता चला।
गुस्से में आकर परशुराम ने राजा सहस्त्रबाहु को चुनौती दी और उसकी विशाल सेना का संहार कर दिया और सहस्त्रबाहु का सिर अपने फरसे से काट डाला। ऋषि जमदग्नि ने ये सब सुना तो उनको बहुत दुःख हुआ और उन्होंने परशुराम को उनके पापों के प्रायश्चित के लिए तीर्थयात्रा पर भेज दिया।
एक वर्ष तक परशुराम सभी तीर्थों का भ्रमण करते हुए अंत में आश्रम पहुंचे।
जब एक दिन परशुराम की माता रेणुका जल लेने गई तो वहां चित्ररथ के प्रति उनके मन में प्रेम जागा। वे जल लेकर अनमनी सी आश्रम लौटी। पत्नी की मानसिक स्थिति का अवलोकन कर जमदग्नि ने परशुराम को अपनी माता का वध करने को कहा। परशुराम ने पिता की आज्ञा मानकर अपनी माता का वध कर दिया। पुत्र के इस कर्म से प्रसन्न होकर जमदग्नि ने पूछा बोलो क्या वर दूँ। तब परशुराम ने कहा कि माता को फिर से जीवित कर दीजिये और ऐसा वर दीजिये कि उन्हें यह याद ना रहे कि उनका वध मैंने किया था।
जमदग्नि ने ऐसा ही किया।
लेकिन कहानी अभी भी बाकि थी, एक बार राजा सहस्त्रबाहु के पुत्रों ने अवसर पाकर समाधी में बैठे जमदग्नि को मार डाला और उनका सिर काटकर ले गये।
तब माता रेणुका ने इक्कीस बार छाती पीटकर परशुराम को पुकारा था। जिसका बदला परशुराम ने 21 बार क्षत्रियों का नाश करके इस पृथ्वी को 21 बार क्षत्रियविहीन कर दिया था।