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इस पर्वत पर आज भी तपस्या में तल्लीन है परशुराम, आप ज़रूर जानना चाहेंगे पूरी कहानी

तपस्या में परशुराम

तपस्या में परशुराम – हिन्दू धर्म अनेक कथाओं, कहानियों, किस्सों और किवदन्तियों को अपने आप में समेटे हुए हैं, हमेशा से हिन्दू धर्म में कईं कथाओं का प्रचलन रहा है।

भगवान, स्थान और अलग-अलग कालों से जुड़ी अलग-अलग कहानियां, अलग-अलग जगह पर कहीं गईं हैं।

आज हम बात करेंगे भगवान परशुराम की तपस्या के बारे में –

तपस्या में परशुराम –

तपस्या में परशुराम

चाहे भगवान गणेश के हाथी का मस्तक लगने की कहानी हो, हनुमान जी के चिरंजीवी होने की कहानी हो, भगवान कृष्ण और राम के जन्म लेने की कहानी हो, हम संदर्भ में कईं कथाएं प्रचलित हैं।

तपस्या में परशुराम

ऐसी ही एक कहानी हैं महेन्द्रगिरी पर्वत और भगवान परशुराम के बारे में, जिससे कई मान्यताएं जुड़ी हैं। चलिए आज आपको इन मान्यताओं के बारे में बताते हैं।

तपस्या में परशुराम

जी हां, जैसे कि आप जानते हैं हनुमान और अश्वत्थामा की तरह परशुराम भी चिंरजीवी है और उनके आज भी धरती पर मौजूद होने से जुड़े प्रमाण एक जगह पर बिखरे हुए हैं, ये कहानी उसी जगह से जुड़ी है।  महेंद्रगिरि पर्वत, जो कि उड़ीसा के गजपति जिले के परालाखेमुंडी में स्थित है, अपने आप में कईं विशेषताओं और रहस्यों को समेटे हुए है। इस पर्वत से कईं ऐतिहासिक कहानियां जुड़ी हैं और कईं धार्मिक मान्यताएं भी इस पर्वत की कहानियां कहती हैं।  ऐतिहासिक और धार्मिक दोनों ही नज़रिए से ये पर्वत काफी महत्ता रखता है। ऐसी मान्यता है कि ये पर्वत रामायण, महाभारत काल की कईं कथाओं से जुड़ा हुआ है।

तपस्या में परशुराम

इस पर्वत के बारे में सबसे अधिक प्रचलित कहानी के अनुसार, अंत में भगवान परशुराम तपस्या के लिए यही चले गए थे और ये उनकी तपस्या की जगह बन गईं थी। जी हां, महेन्द्रगिरि पर्वत को भगवान परशुराम की तपस्या की जगह माना जाता है।

तपस्या में परशुराम

सिर्फ ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से ही ये मंदिर खास नहीं है बल्कि ये खूबसूरत प्राकृतिक नज़ारों की भी गवाही देता है जो इसे और खूबसूरत बनाते हैं।  समंदर, नदियां और हरे-भरे पहाड़ मानो इसकी खूबसूरती की कहानी कहते हैं।

तपस्या में परशुराम

इस पहाड़ और यहां के मंदिर भी काफी प्रसिध्द हैं और श्रध्दालु मन में ढ़ेरों प्रार्थनाएं लिए यहां दर्शन के लिए आते हैं और इस बात पर विश्वास रखते हैं कि उनकी प्रार्थना ज़रूर सुनी जाएगी। आंगतुकों का कहना है कि इस पर्वत पर अक्सर परशुराम नज़र आते हैं।

तपस्या में परशुराम

गौरतलब है कि इस पर्वत पर महाभारत काल के कई मंदिर मौजूद हैं। जिनमें भीम, कुंती, युधिष्ठिर के अलावा दारु ब्रम्हा के मंदिर काफी प्रसिध्द हैं।

तपस्या में परशुराम

कहा जाता है कि इन मंदिरों का निर्माण पांडवों ने करवाया था। इस चोटी तक पहुंचने के लिए तीन रास्ते हैं, जिनके ज़रिए अलग-अलग रूट को तय करते हुए यहां पहुंचा जा सकता है।

तपस्या में परशुराम – आप इस बात पर विश्वास करें या ना करें लेकिन ये भी सच है कि साइंस से ऊपर भी एक ऐसी दुनिया है जो सिर्फ विश्वास, भक्ति और श्रध्दा पर ही आधारित है, जो तर्क-विर्तकों से परे हैं और जिसके बारे में किसी भी प्रकार की बहस निराधार है क्योकि ये सिर्फ विश्वास पर ही निर्भर है।