परिपूर्णानंद स्वामी – कुछ ही महीनों में चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होनो वाले हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव.
ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपना चुनावी समीकरण सुधारने में लगे हुए हैं और जीत के लिए कुछ ने नए चेहरों की तलाश भी कर ली है. इसी कड़ी में बीजेपी को दक्षिण भारत में अपनी स्थिति मज़बूत करने के लिए एक नया चेहरा मिल गया है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वो बीजेपी के नए योगी बन सकते हैं.
उत्तर भारत में तो बीजेपी की स्थिति काफी मज़बूत है.
योगी आदित्यनाथ की बदौलत यूपी में भी बीजेपी मज़बूत है, लेकिन दक्षिण भारत में बीजेपी की जड़े बहुत मज़बूत नहीं है. हाल ही मे कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी बीजेपी सरकार नहीं बना पाई थी, जाहिर है इसके बाद से वो दक्षिण के राज्यों में अपनी स्थिति और मज़बूत बनाना चाहेगी. इस कड़ी में तेलंगाना में अपनी स्थिति सुधारने के लिए बीजेपी ने एक साधु छवि वाले नेता परिपूर्णानंद स्वामी को लॉन्च करने की तैयारी हैं. उन्हें बीजेपी का दूसरा योगी आदित्यनाथ माना जा रहा है.
योगी की तरह परिपूर्णानंद साधु से नेता बने हैं. तेलंगाना में हिंदू वोटरों को रिझाने के लिए बीजेपी परिपूर्णानंद को मैदान में उतारने की तैयारी में है.
खबरों की माने तो भगवाधारी वस्त्र धारण करने वाले परिपूर्णानंद स्वामी की लांचिंग के लिए सारी तैयारियां पूरी हो गई हैं. बीजेपी, वीएचपी, आरएसएस, बजरंग दल सहित सभी हिंदू संगठनों के लोग एकजुट होकर परिपूर्णानंद स्वामी को लांच करेंगे. मीडिया रिपोर्टेस के मुताबिक, परिपूर्णानंद स्वामी को हैदराबाद की किसी लोकसभा या विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है.
हाल ही में आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने भी परिपूर्णानंद से अकेले में मुलाकात की थी, जिसके बाद से कयास लग रहे हैं कि उन्हें बड़े स्तर पर लांच किया जा सकता है. आपको बता दें कि स्वामी परिपूर्णानंद की आदिवासियों के बीच काफी अच्छी छवि है. साथ ही उनकी हिंदू छवि भी उन्हें लोकप्रिय बनाता है. हैदराबाद में आते ही परिपूर्णानंद स्वामी नागलक्ष्मी मंदिर में पूजा करेंगे. इसके बाद वह भीमराव आंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण भी करेंगे. हालांकि परिपूर्णानंद के राजनीति में आने की अटकलों पर कोई भी बीजेपी नेता खुलकर कुछ नहीं बोल रहा है, लेकिन जिस तरह से तैयारियां चल रही है, उससे तो साफ है कि बीजेपी दूसरे योगी यानी परिपूर्णानंद को राजनीतिक रूप से लॉन्च करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
राजनीतिक पार्टियां धर्मनिरपेक्षता की चाहे जितनी भी बातें कर लें, मगर सच्चाई तो यही है कि जब वोट बैंक की बात आती है तो वो जाति और धर्म के आधार पर वोट बंटोरने की कोशिश करते हैं और परिपूर्णानंद को राजनीति में लाने का मकसद भी धर्म के आधार पर वोट बढ़ाना है.
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