आज हम आपको एक ऐसे वृक्ष के बारे में बताने जा रहे है जिसको छूने मात्र से ही आपकी दिनभर की थकान दूर हो सकती है।
जी हाँ हमारे देश में एक ऐसा वृक्ष भी मौजूद है जिसकी जड़े महाभारत काल तक जाती है। हम बात कर रहे है पारिजात वृक्ष की। वैसे तो ये वृक्ष पूरे भारत में पाया जाता है।
लेकिन इस जगह पर पाया जाने वाला ये पारिजात वृक्ष अपने आप में बेहद खास है।
दरअसल उत्तरप्रदेश के बाराबंकी जिले में एक गाँव है जिसकी दूरी बाराबंकी जिला मुख्यालय से 38 किलोमीटर है, इस गाँव का नाम किंतूर है। इस गाँव के किंतूर नाम के पीछे भी इतिहास है। कहा जाता है कि जब पाण्ड्वों और उनकी माता कुंती को अपना वनवास बिताना था तो वे यही पर आये थे। और तभी से इस गाँव का नाम भी माता कुंती के नाम पर किंतूर पड़ गया।
इस गाँव में भारत का एकमात्र पारिजात का ऐसा पेड़ पाया जाता है जिसको छूने मात्र से ही आपकी सारी थकान मिट जाती है। कहा जाता है कि यहां पर स्थित पारिजात के सफेद पुष्पों से ही माता कुंती भगवान शिव की पूजा किया करती थी।
ये वृक्ष अपने आप में बेहद विशाल है।
इसकी ऊंचाई 45 फीट और चौड़ाई लगभग 50 फीट है।
वैसे आपको बता दें कि इस पारिजात वृक्ष की उम्र 1000 से 5000 साल के बीच बताई जाती है। यहां के स्थानीय लोग इस वृक्ष को महाभारत काल का बताते है।
इस वृक्ष के संबंध में हरिवंश पूराण में भी लिखा है।
कहा जाता है कि पारिजात वृक्ष को ही कल्पवृक्ष भी कहा जाता है और इसकी उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। पारिजात वृक्ष को इंद्र ने स्वर्गलोक में स्थापित कर दिया था, जिसे छूने मात्र से ही देव नर्तकी उर्वशी की थकान मिट जाती है।
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