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जानिये पंचमुखी हनुमान अवतार के बारे में

बजरंगबलि को सकंट मोचन भी कहा जाता हैं और भगवान हनुमान ने हमेशा अपने नाम को सार्थक किया हैं.

संकट चाहे शारीरिक हो या मानसिक, भगवान् हनुमान हमेशा उसका निवारण करने में समर्थ रहे हैं.

रामायण काल में हर कोई अपनी समस्या के निदान के लिए भगवान् हनुमान को ही याद करते  थे. ऐसा ही एक संकट श्री हनुमान के स्वामी भगवान् राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण पर भी आया था, जिसका निवारण भी श्री हनुमान ने ही किया था.

बजरंगबलि अपनी स्वामी भक्ति के लिए जाने जाते हैं और रामायण का युद्ध भी श्रीराम की वानर सेना ने अगर जीता था तो उसमे श्री हनुमान की बहुत बड़ी भूमिका थी. इसी युद्ध के दौरान भगवान् हनुमान ने अपने कई अवतारों में से एक “ पंचमुखी हनुमान अवतार ” भी धारण किया था.

लेकिन क्या वजह थी कि श्री हमुनाम को पंचमुखी अवतार धारण करना पड़ा था.

रामायण की कथा के अनुसार जब भगवान् राम अपनी पत्नी सीता को छुड़ाने रावण की लंका गए थे तब कई दिनो तक   यह युद्ध चला था. युद्ध में रावण अपना पक्ष कमज़ोर होता देख, अपने भाई अहिरावण को भी इस इस युद्ध में भाग लेने के लिए बुलाया था. इस युद्ध में रावण द्वारा अपने भाई को शामिल करने एक की यह वजह थी कि अहिरावण को मायावी शक्तियां प्राप्त थी और रावण इन्ही मायावी शक्तियों का इस्तेमाल कर के यह युद्ध जीतना चाहता था.

इस युद्ध में रावण अपने भाई अहिरावण की मायावी शक्तियों की मदद से श्रीराम की पूरी सेना को गहरी नींद में सुला कर श्री राम और लक्ष्मण का अपहरण कर लिया था और इसी मुर्छित अवस्था में अहिरावण ने श्रीराम और लक्ष्मण को पाताल लोक ले कर चला गया.

जब हनुमान को यह बात ज्ञात हुई तो वह तुरंत पाताल लोक पहुचें लेकिन पाताल लोक के द्वार रक्षक मकरध्वज ने उन्हें प्रवेश करने से रोक दिया था. तब हनुमान ने मकरध्वज से युद्ध कर उसे परास्त किया और पातळ लोक के भीतर पहुचे.

वह पहुचते ही उन्होंने देखा कि माँ भवानी के सम्मुख भगवान् राम और लक्ष्मण मुर्छित अवस्था में पड़े थे और अहिरावण  श्री राम और लक्ष्मण के बलि की तैयारी कर रहा था. लेकिन उस पूजा स्थल में चारों दिशाओं में पांच दीपक जल रहे थे जिसे एक साथ भुझाने पर अहिरावण की मृत्यु हो सकती थी.

भगवान् हनुमान को यह बात ज्ञात होते ही उन्होंने अपना पंचमुखी हनुमान अवतार धारण किया जिसमे वराह मुख, नरसिंह मुख, गरुड़ मुख, हयग्रीव मुख और अंतिम हनुमान मुख थे जिनकी सहायता से उन्होंने एक साथ वह पाँचों दीपक भुझा कर अहि रावण की मृत्यु की थी और श्री राम और लक्ष्मण रक्षा की थी.

Sagar Shri Gupta

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Sagar Shri Gupta

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