पांचाली का मतलब होता है पांच पतियों वाली.
स्त्री के पांचाली बनने की शुरुआत महाभारत यानि द्वापर युग में हुई. लेकिन इस काल में यह प्रथा किसी ने जानबूझ कर नहीं शुरू की थी और ना ही यह कोई प्रथा थी.
एक माँ के वचन का सम्मान रखते हुए मजबूरी में एक स्त्री को पांचाली का रूप स्वीकार करना पड़ा.
आज्ञातवास के दौरान कुंती ने अपने पुत्रो द्वारा भीख मांग कर लाये निर्जीव वस्तु समझकर द्रोपदी और पांडव की तरफ बिना देखे अपने पुत्रों को बाँट लेने की बात कही थी, तब माँ आज्ञा का पालन अपना धर्म समझकर द्रोपदी को पांचाली बनना पड़ा जो उस समय भी उस स्त्री के लिए असहनीय था.
लेकिन आज स्त्री के उस रूप – पांचाली प्रथा – को प्रथा बनाकर चलाया जा रहा है.
आइये जानते है कहाँ है यह पांचाली प्रथा
आज यह पांचाली प्रथा भारत के हिमाचल प्रदेश में किन्नौर नामक स्थान पर चलाया जा रहा है.
इस पांचाली प्रथा में एक स्त्री का विवाह एक परिवार के सारे भाईयों से कर दिया जाता है और उस स्त्री को सबकी पत्नी बनकर रहना पड़ता है.
यह पांचाली प्रथा चलाते हुए पांडवों के उसी अज्ञातवास के साथ जोड़ देते हैं जिसमे अर्जुन द्रोपदी विवाह कर घर लाया और माँ की बिना देखे दी गई आज्ञा का पालन करते हुए द्रोपदी को पांचाली बनकर रहना स्वीकार करना पड़ा और पांचों पांडव की पत्नी बन गई. यह बात उस वक़्त भी मज़ाक हास्य और स्त्री शोषण का एक रूप था. उस समय माता पिता के आज्ञा और वचन का पालन अनिवार्य रूप से किया जाता था इसलिए स्त्री को पांचाली बनकर रहना स्वीकार करना पड़ा.
लेकिन आज किन्नौर में एक स्त्री का शोषण करते हुए बहु पति से विवाह कराया जाता है .
एक घर के सभी सगे भाईयों को एक युवती को विवाह कर एक घर में सभी के साथ रहते हुए सबके साथ शारीरिक संबंध बनाया जाता है .
इस विवाह के बाद यदि उस स्त्री के एक भी पति की मौत होती है तो वह दुख नहीं मनाती है .
एक ही महिला के साथ सारे भाई सारी दांपत्य और संबंध बनाते हुए एक साथ रहते है.
यदि कोई एक भाई पत्नी के पास कमरे में होता है. तब वह कमरे के बहार दरवाजे पर अपनी पहनी टोपी को टांग देता है जिससे और भाई कमरे के अंदर नहीं जाते.
यह टोपी एक भाई के अंदर कमरे में होने का संकेत होता है जिससे बाकी भाई समझ जाते हैं कि एक भाई उनकी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बना रहा है.
इस तरीके को कर यहाँ के लोग भाईयों की मर्यादा का सम्मान करना और ध्यान रखना समझते है.
वास्तव में देख जाए यहाँ चलाये जानी वाली यह पांचाली प्रथा कोई प्रथा नहीं बल्कि स्त्री शोषण का एक रूप है. जो घटते कन्या अनुपात दर के कारण एक प्रथा बना कर चलाई जा रही होगी. क्योकि ऐसी कोई प्रथा थी ही नहीं.
पांडव के घर में द्रोपदी का पांचाली बनना एक अनहोनी घटना थी. लेकिन आज हिमाचल में यह अनहोनी को लोग प्रथा बताकर स्त्री का शोषण मात्र कर रहे है.