इस हस्तरेखा शास्त्र के बारे में जानकर आप भी भविष्यवाणी करना सीख जायेंगे!
हस्तरेखा शास्त्र एक ऐसा विषय है, जो हरएक के लिए काफी दिलचस्प है.
हर किसीको अपने भविष्य के बारे में जानने की जिज्ञासा होती है. इसमें भी अगर आप हस्तरेखा शास्त्र के बारे में कुछ जानते है तो सोने पे सुहागा हो जाता है.
ये हस्तरेखा शास्त्र इतना आसान नहीं है. हालाकि कुछ मुश्किल होते हुए भी आप सीख सके उतना आसान है.
तो आइये जानते हैं हस्तरेखा शास्त्र के बारे में.
हाथ में 4 मुख्य रेखाएं होती है, जैसे जीवन रेखा, ह्रदय रेखा, मष्तिष्क रेखा, और भाग्य रेखा. ये रेखाएं मुख्य होती है, जिसको देखकर आप जीवन अवधि, रोग, दिमाग और क्या मिला क्या खोया के बारे में बता सकते है.
हाथों में मुख्या भाग में शुक्र पर्वत, गुरु पर्वत, शनि पर्वत, सूर्य क्षेत्र, बुध पर्वत, मंगल पर्वत, चन्द्र क्षेत्र, व मणिबंध में रेखाओं की स्थिति देखि जाती है. रेखाओं के रंग, आकर और गहरापन पर भी गौर किया जाता है.
जब हस्त रेखाएं गहरी, लंबी, साफ़ और पतली दिखाई देती है तो शुभ संकेत होता है.
जीवन रेखा में व अन्य पर्वत या क्षेत्र में कटी हुई या क्रॉस चिह्न अशुभ रहता है. कटी रेखा जीवन के हर कार्य में बाधा डालती है. जब जीवन रेखा लम्बी साफ़ और बिना कटी हुई है तो यह लम्बी आयु की तरफ संकेत देती है साथ ही अच्छा स्वास्थ्य भी दर्शाती है .
जब दोनों हाथ की जीवन रेखा कटी या टूटी रहती है, तब इंसान की असमय मौत या कष्ट युक्त जीवन का संकेत देती है.
जबकि एक हाथ की जीवन रेखा टूटी दिखाई दे और दूसरे हाथ की रेखा सही हो, तब गंभीर बीमारी होने का संकेत बताता है .
जब हस्त रेखा में जीवन रेखा श्रृंखलाबद्ध हो या अलग-अलग कटी और जुड़ी हो, तब जातक की मानसिक व शारीरिक निर्बलता को बताता है. ऐसे इंसान अस्वास्थ्य रहते है और कई परेशानियों में घिरे रहते है.
हाथ का बहुत ज्यादा कोमल होना जीवन रेखाओं के दोष दूर करता है और इंसान के सामान्य जीवन की तरफ इशारा करता है.
जब मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से जुड़ी हुई होती है, तब इंसान सकुचित विचार का होता है. लेकिन जब जीवन रेखा और मष्तिष्क रेखा के बीच थोड़ा स्थान हो तो इंसान स्वतंत्र विचारों का रहता है. जबकि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के बीच जरुरत से ज्यादा दूरी इंसान को सोचे समझे बिना कार्य करने वाला बनाता है.
जब जीवन रेखा, हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा शुरू से ही मिली हुई दिखे, तब इंसान दुर्बल, भाग्यहीन, और परेशान रहता है.
जब जीवन रेखा कटी या टूटी और शुक्र पर्वत की तरफ अंदर मुडी हुई हो तो अशुभ लक्षण को दर्शाती है और इंसान का जीवन संघर्षमय और कष्टों भरा होता है.
जब जीवन रेखा गुरु पर्वत से शुरू हो तब इंसान जरुरत से ज्यादा महत्वाकांक्षी रहता है और अपनी आकांक्षा पूरी करने के लिए कुछ भी कर सकता है, किसी भी हद तक चला जाता है.
जब जीवन रेखा गुरु पर्वत क्षेत्र की तरफ ऊपर उठी हुई दिखे या गुरु पर्वत से मिली हुई दिखे, तब इंसान व्यापार- व्यवसाय में तरक्की कर ऊँचे पद पर जा सकता है.
जब जीवन रेखा शनि पर्वत क्षेत्र की तरफ उठ कर भाग्य रेखा के संग चलती दिखे, तब इंसान धनवान, सम्पत्तिवान और भोग विलास युक्त जीवन जीने वाला होता है.
हाथ में सूर्य, चन्द्र, स्वास्तिक या त्रिशूल का चिन्ह हो तो इंसान भाग्यवान रहता है.
जब छोटी-छोटी रेखाएं जीवन रेखा को काटे या नीचे की तरफ मुड़ी दिखाई दे, तब इंसान परेशान और असफल होता है. जब कि रेखा सीधी साफ़ बिना कटी और ऊपर की तरफ बढती दिखे तो इंसान सफल और भाग्यवान होता है.
जब जीवन रेखा का अंत रेखा दो भाग में बटा हुआ हो, तब इंसान का जन्म और मृत्यु स्थान अलग और दूर होने का संकेत देते है.
जब जीवन रेखा में वर्ग चिह्न दिखाई दे, तब इंसान जीवन रक्षा करने वाला होता है.
जब दोनों हाथों की जीवन रेखा छोटी होती है तब इंसान अल्पायु होता है और जब जीवन रेखा श्रृंखलाकार, कटी बटी दिखाई दे तो उस इंसान की आयु रोगमय संकट और सघर्षमय रहता है.
जब इंसान के हाथ में जीवन रेखा चंद्र पर्वत की तरफ जाती दिखे तब इंसान अस्थिर स्वभाव का होता है, जबकि जीवन रेखा कोमल हाथ मस्तिष्क रेखा ढलान युक्त हो तो इंसान स्थिर स्वभाव वाला होता है.
हाथ में गोल उलझी और जालीदार कटी टूटी रेखाएं इंसान को अभागा और दुखी बनाए रखती है.
हस्तरेखा शास्त्र एक सचोट विज्ञानं है, जिसकी सही जानकारी से कोई भी किसी का भविष्य वर्तमान और भूत बता सकता है. यह कोई जादू या चमत्कार नहीं होता इसका भी अध्ययन किया जाता है.