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नेपाल में हुई इंसानियत शर्मसार…

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शुरूआत करते हैं एक उदाहरण से,

मानिये कि आपके घर में कोई प्रलय आई है, आप धार्मिक हैं और आप पूरी तरह से शाकाहारी चीजें प्रयोग करते हैं ऐसे में आपका पड़ोसी आपकी मदद करना चाहता है और वह मदद में आपके पास खाने के लिए मांस भेजता है, दूसरा पड़ोसी इस प्रलय में आपके पास खाने की जगह अपने धर्म की पुस्तकें भेजता है.

अब आप ही बतायें कि ना तो आप मांस खा सकते हैं और ना ही धर्म की पुस्तकें खा सकते हैं. क्या यह आपके साथ सीधे-सीधे मजाक नहीं है? क्या इन कार्यों से आपकी मानसिकता नहीं साफ़ हो जाती है? क्या आप ऐसे लोगों को अपना पड़ोसी मान सकते हो क्या ?

नेपाल में भयानक तबाही के बाद यहाँ मदद की दरकार है, लोग दर्द से तड़प रहे हैं. हज़ारों लोग मर चुके हैं, लाखों लोग बेघर हैं. खाने को अन्न नहीं हैं यहाँ, पीने को पानी नहीं है.

ऐसे में नेपाल की स्थिति क्या है, यह बात विश्व का मीडिया 24 घंटे चला रहा है और राहत कार्यों की पूरी रिपोर्टिंग की जा रही है.

और अब नेपाल के एक पड़ोसी की हरकत देखिये, पाकिस्तान ने जो इस बार किया है उससे उसने अपनी पूरी मानसिकता को सबके सामने लाकर रख दिया है, पाकिस्तान ने नेपाल पीड़ितों के लिए जो राहत सामग्री भेजी है उसमें भेजा गया है ‘बीफ’. गोमांस भूकंप पीड़ितों के खाने के लिए भेज दिया गया है.

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Pakistan sends ready to eat cow meat!

पाकिस्तान को कहीं ना कहीं इस बात से जलन होती है कि नेपाल हिन्दू देश कैसे बना हुआ है? और यहाँ के लोगों के धर्म ख़राब करने के लिए ही पाकिस्तान ने गोमास यहाँ भेजा है.

वहीँ दूसरी और एक मिशनरी संस्था ने नेपाल में मदद के लिए बाइबिल भेजी हैं. नेपाल के प्रधानमंत्री ने इस बात की कठोर निंदा की है कि क्या इस घड़ी में हमारे लोग बाइबिल खायेंगे?

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Missionary sends Bibles to Nepal earthquake victims

हकीकत बात यह है कि इन मिशनरी लोगों की निगाह धर्म परिवर्तन पर है. पाकिस्तान जहाँ नेपाल के लोगों के साथ धार्मिक आधार पर खेल रहा है तो वहीँ इसाई लोग नेपाल में अब इस घड़ी को धर्मपरिवर्तन के लिए प्रयोग करना चाहते हैं.

अब ऐसे में क्या पाकिस्तान के इस गंदे मजाक की निंदा सारे विश्व को नहीं करनी चाहिए ? मिशनरी संस्थाओं का क्या इस बात के लिए विरोध नहीं करना चाहिए?

इन दोनों ही हरकतों से इंसानियत शर्मसार हो चुकी है और मानवता ने तो दम ही तोड़ दिया है.

आपकी राय का इंतज़ार रहेगा.

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