पाकिस्तान का क़र्ज़ – पाकिस्तान पहले से ही कर्ज के दलदल में डूबा हुआ है, उस पर हाल ही में हुए चुनाव ने भी उसकी मुश्किलें बढ़ा दी है.
चुनावी खर्च और कर्ज के दलदल में डूब रहे पाकिस्तान के लिए अब मुश्किलें और बढ़ती हुई दिख रही है. खबरों की मानें तो पाकिस्तान का आर्थिक संकट और गहरा गया है. संकट इतना बढ़ चुका है कि यदि पाकिस्तान को और कर्ज का सहारा नहीं मिला तो जल्द ही ये बर्बाद हो जाएगा.
मुश्किल दौर से गुज़र रहे पाकिस्तान को अगर छह हफ्ते के भीतर 12 अरब डॉलर का लोन नहीं मिला तो देश को संभालना मुश्किल होगा. यह बात किसी और ने नहीं, बल्कि इमरान की होने वाली कैबिनेट में वित्त मंत्री के दावेदार असद उमर ने कही है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने देश को गंभीर आर्थिक संकट में छोड़ दिया है.
इमरान अभी तक सत्ता पर काबिज हुए नहीं है और उनके सामने पाकिस्तान का क़र्ज़ खड़ा हो चुका है.
असद उमर पाकिस्तानी कंपनी एंग्रो कॉरपोरेशन के प्रमुख भी रह चुके हैं, उनके मुताबिक, देश में 10 से 12 अरब डॉलर की आर्थिक कमी है. इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि देश बिल्कुल ‘कगार पर खड़ा’ है, इसलिए नई सरकार को यदि आर्थिक मदद नहीं मिली तो पाकिस्तान को बर्बादी से बचाना मुश्किल हो जाएगा.
आपको बता दें कि चीन पहले ही पाकिस्तान की बहुत मदद कर चुका है, लेकिन अमेरिका ने हाल ही में अंर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से पाकिस्तान को और कर्ज नहीं देने की बात कही थी. ऐसे में पाकिस्तान इतनी बड़ी रकम के कर्ज के लिए किसके सामने हाथ फैलाएगा देखने वाली बात है.
इमरान खान ऐसे समय में पाकिस्तान के पीएम बनने की तैयारी कर रहे है जब पाकिस्तान का क़र्ज़ कंगाली की कगार पर है. ऐसे में जानकारों का कहना है कि यदि चीन और आईएमएफ ने राहत पैकेज नहीं दिया तो पाकिस्तान को संभालना मुश्किल होगा.
आपको बता दें कि 1980 के अब तक आईएमएफ पाकिस्तान को 12 बार आर्थिक कार्यक्रमों के द्वारा मदद दे चुका है. पिछली बार ही आईएमएफ ने करीब 6.6 अरब डॉलर का राहत पैकेज दिया था और लगभग इतना ही कर्ज चीन भी दे चुका है.
आईएमएफ और चीन पहले ही पाकिस्तान को भारी भरकम कर्ज दे चुका है, अब देखना ये है कि क्या चीन आगे भी पाकिस्तान से दोस्ती निभाते हुए उसे कंगाल होने से बचाता है या नहीं?