पाक सेना प्रमुख राहिल शरीफ भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक की मार से अभी तक उबर नहीं पाए हैं.
भारतीय सेना का पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर में सीमा में अंदर घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करके सुरक्षित वापस लौट जाना पाकिस्तान के सेना प्रमुख राहिल शरीफ के ऊपर एक ऐसा बदनुमा दाग है जो एक काले साए की तरह पूरी जिंदगी उनका पीछा करता रहेगा.
दरअसल, पाक सेना प्रमुख राहिल शरीफ की छवि पाकिस्तानी सेना में एक ईमानदार और दंबग सेना प्रमुख है.
उरी हमले के बाद पाक सेना प्रमुख जिस प्रकार सुरक्षा को लेकर दावे कर रहे थे उन दावों को भारतीय सेना ने एक झटके में धूल में मिला दिया.
राहिल शरीफ ने सोचा था कि उरी हमले के बाद सीमा पर तनाव को देखते हुए और पाकिस्तान में सेना और लोगों में जिस प्रकार उनकी लोकप्रियता है उसको देखते हुए मौजूदा हालात में पाक सरकार उनको सेना प्रमुख के पद पर सेवा विस्तार दे देगी.
लेकिन नवाज शरीफ ने ऐसा नहीं किया.
पाक सेना प्रमुख राहिल शरीफ को लगता है कि यदि वे इस समय सेना प्रमुख पद से रिटायर होते हैं तो पाक सेना के इतिहास में उनका नाम हमेशा के लिए काले अक्षरों में लिखा जाएगा. अगर वे इस समय सेना प्रमुख के पद से हटते हैं तो यह उनके लिए कोई सम्मान जनक विदाई नहीं होगी.
उन्होंने अभी तक एक सेना प्रमुख के रूप में जो भी उपलब्धि हासिल की है वह सब खाक में मिल जाएगी. भारतीय सेना ने जिस प्रकार पाक सीमा में अंदर घुसकर कार्रवाई की और पाक सेना को उसकी भनक तक नहीं लगी यह उनके लिए व्यक्तिगत छति है. यदि उन्होंने भारत से इसका बदला नहीं लिया तो भविष्य में आने वाली पाक पीढ़ी भले ही उन्हें माफ कर दे लेकिन उनकी जमीर उन्हें कभी माफ नहीं करेगा.
भारतीय सेना से मिले इस घाव लेकर ताउम्र राहिल शरीफ को जीना होगा. यह बात राहिल शरीफ को अंदर ही अंदर खाए जा रही है.
यही कारण है कि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में पाक सेना प्रमुख राहिल शरीफ को फील्ड मार्शल का दर्जा देने के लिए याचिका दाखिल की गई है. गौरतलब है कि ऐसी ही याचिका इस्लामाबाद हाईकोर्ट में भी पहले दाखिल की गई थी जिसे खारिज कर दिया गया था. अब हाईकोर्ट के उस फैसले को ही चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.
बता दें कि 60 वर्षीय जनरल राहिल 29 नवंबर को रिटायर होने जा रहे हैं.
ये याचिका रावलपिंडी बार एसोसिएशन (आरबीए) के सदस्य अदनान मजारी की ओर से दाखिल की गई है.
खबर है कि इसको पर्दें के पीछे से राहिल शरीफ का समर्थन हासिल है. यदि वे खुद याचिका डालते तो इससे दुनिया में गलत संदेश जाता और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के लोग पाक में परोक्ष रूप से सैन्य विद्रोह की बात को हवा देकर इसका विदेशों में दुष्प्रचार कराकर सेना प्रमुख के सामने मुश्किलें खड़ी करते.
इसको देखते हुए किसी ओर के जरिए याचिका डलवाकर कहा गया है कि जनरल राहिल का कार्यकाल बढ़ाना और उन्हें फील्डमार्शल का दर्जा देना जनहित में होगा. क्योंकि मौजूदा चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (जनरल राहिल) ने शांति और युद्ध के समय जिस तरह का अनुकरणीय, असाधारण और पेशेवर प्रदर्शन किया, उसको देखते हुए वे राष्ट्रीय प्रशंसा, अवार्ड और पहचान पाने के पूरी तरह योग्य हैं.
साथ ही पाकिस्तान के संविधान का हवाला देते हुए कहा कि इसमें कहीं भी प्रतिस्थापित नहीं है कि चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का कार्यकाल निश्चित ही होगा.
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