पाकिस्तान ने भारतीय जासूस होने के आरोप में बंदी बनाए गए कुलभूषण जाधव पर पलटी मारी है.
अब पाकिस्तान कह रहा है कि उसके पास कुलभूषण जाधव के खिलाफ ठोस सबूत है. जबकि पहले पाकिस्तान ने कहा था कि कुलभूषण जाधव के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है.
लेकिन अचानक पाकिस्तान ने इस मामले पर यू टर्न क्यों ले लिया इसको लेकर भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी कुछ लोग समझ नहीं पा रहे है.
आखिर क्या वजह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने एक बार भी अपने मुंह से यह नहीं कहा कि कुलभूषण जाधव भारत का जासूस है. इतना ही नहीं उन्होंने अभी तक इस मामले में जाधव का नाम तक अपनी जुबान से नहीं लिया.
लेकिन पाकिस्तान ने अपने पहले के रूख से जो पलटी मारी है उसके पीछे बड़ा कारण है कि हाल में पाकिस्तान में एक के बाद एक कई बम धमाके हुए है.
पाकिस्तान के मीडिया और आवाम का एक वर्ग यह आरोप लगा रहा है कि पाकिस्तान में ये जो बम धमाके हुए हैं उसमें भारतीय खुफिया एजेंसी रॅा का हाथ है.
उनका मानना है कि भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने एक बार कहा था कि अगर पाकिस्तान भारत के अंदर आतंकवाद को बढ़ावा देगा तो भारत भी आतंकवादियों को उससे अधिक पैसे देकर अपने दुश्मनों के खिलाफ भी उसी प्रकार की कार्रवाई कर सकता है. क्योंकि आतंकी पैसे के लिए काम करते हैं. उनका मजहब से कोई लेना देना नहीं है.
यही वजह है कि पाकिस्तान के शासन को आंशका है कि जिस प्रकार भारत अफगानिस्तान में अपनी मजबूत पैंठ बना चुका है, उसको देखते हुए वह वहां बैठकर पाकिस्तान के खिलाफ तालिबान के एक धड़े को मदद कर रहा है.
यदि इस वक्त पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को छोड़ा तो उसका पाकिस्तान की जनता में एक बहुत गलत संदेश जाएगा. लोग कहेंगे कि एक ओर भारत की खुफिया एजेंसी पाकिस्तान में हस्तक्षेप कर रही है वहीं पाक हुक्मरान भारत के दवाब में उसके कथित जासूस को सबूत न होने की बात कहकर रिहा करने की तैयारी कर रहे है.
यही वजह है कि पिछले दिनों जिस प्रकार पाक में लगातार बड़े बम धमाके हुए उससे कुलभूषण जाधव को लेकर पाक को अपने पुराने रूख से पलटने को मजबूर किया.
गौरतलब है कि नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने पाकिस्तानी संसद में कुलभूषण जाधव को भारत के हवाले किए जाने की संभावनाओं से इनकार किया है.
मालूम हो कि पाकिस्तान के आरोपों को खारिज करते हुए भारत साफ कर चुका है कि जाधव भारतीय नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी हैं, लेकिन अब उनके साथ भारत सरकार का कोई संबंध नहीं है. भारत ने कुलभूषण जाधव के जासूस होने की बात से भी साफ इनकार किया है. भारतीय पक्ष का कहना है कि जाधव अपने कारोबार के सिलसिले में बलूचिस्तान गए थे.
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