राजनीति

भुट्टो परिवार के बाद अब नवाज शरीफ के खानदान को खत्म करना चाहती है पाकिस्तानी सेना

नवाज शरीफ का खानदान – पाकिस्तानी में हमेशा से ही राजनीतिक दलों से ज़्यादा दबदबा सेना का रहा है, तभी तो अक्सर वहां तकता पल्ट हो जाता है.

पाकिस्तानी के सेना वहां के सियासत पर भारी पड़ती है. यही वजह है कि सेना ने पाकिस्ताने के सबसे ताकतवर भुट्टों परिवार को खत्म कर दिया और अब यदि पाकिस्तानी के पूर्व राजदूत की बातों पर यकीन किया जाए तो सेना का मकसद है नवाज शरीफ का खानदान जिसे खात्मा करना.

यदि ये बात सही है तो नवाज शरीफ के लिए वाकई ये खतरे की घंटी है.

पाकिस्तान में 25 जुलाई को चुनाव होने वाले हैं. सभी राजनीतिक दल अपने-अपने तरीकों से मतदाताओं प्रभावित करने मे लगी हैं.

लेकिन इस चुनावी सरगर्मी के बीच एक अदृश्य ताकत भी है जो पाकिस्तान के चुनाव परिणामों पर बड़ा असर डाल सकती है और वो है पाकिस्तान के ‘डीप स्टेट’ की. यानी की वो स्थिति सेना, खुफिया विभाग और नौकरशाही परदे के पीछे से राज्य की नीतियों को प्रभावित करते हैं. जबकि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार एक मुखौटा भर होती है.

पाकिस्तान में अक्सर ऐसा होता आया है.

मेमोगेट स्कैंडल मे गिरफ्तारी का खतरा झेल रहे अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने एक इंटरव्यू के दौरान कई सनसनीखेज खुलासे किए.

उनका कहना है कि इस बार पाकिस्तान चुनावों के इमानदारी से होने की संभावना कम है. पाकिस्तानी सेना वहां की न्यायपालिका की मदद से पंजाब प्रांत के सबसे ताकतवर नेता नवाज़ शरीफ की पीएमएल-एन  की हार सुनिश्चित करने मे लगी है.

पाकिस्तान की न्यायपालिका ने नवाज़ शरीफ को अयोग्य घोषित करने के साथ-साथ पीएमएल-एन के कई उम्मीद को अयोग्य घोषित कर दिया है. वहीं पाकिस्तानी सेना के खुफिया विभाग के अधिकारी पीएमएल-एन के बड़े नेताओं को पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ में शामिल होने की धमकी दे रहे हैं.

चुनावों के ठीक पहले मीडिया की आजादी पर भी लगाम लगा दी गई है.

पूर्व राजदूत हक्कानी का कहना है कि पाकिस्तान की सेना इस्लामाबाद मे ऐसी सरकार चाहती है जो सेना के हुक्मों पर चले न कि ऐसी सरकार जिसे जनता विश्वास प्राप्त है.

जब 1970 में पाकिस्तान के पहले आम चुनावों में पूर्वी पाकिस्तान की आवामी लीग के नेता शेख़ मुजीबुर रहमान ने रिकार्ड बहुमत हासिल किया तो पाकिस्तानी सेना के बे वजह हस्तक्षेप के कारण ही बांग्लादेश बना और पाक के दो टुकड़े हो गए. इसके बाद 90 के दशक में सेना की पूरी ताकत पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की अध्यक्षता वाली पाकिस्तान पिपुल्स पार्टी (पीपीपी) की बढ़ती लोकप्रियता को कमतर करने में लगी रही और इसलिए भुट्टो के खिलाफ सेना ने नवाज़ शरीफ को खड़ा किया.

और अब सेना नवाज शरीफ का भी अंत चाहती है.

हक्कानी का कहना है कि 25 जुलाई को होने वाले चुनावो का परिणाम जो भी हो लेकिन स्वभाविक तौर पर ये पाकिस्तान में अस्थिरता लाएगा. यानी इस चुनाव मे जीते कोई भी लेकिन हार पाकिस्तान की जनता और लोकतंत्र की होगी.

पाकिस्तान में हमेशा से ही नाम मात्र का लोकतंत्र रहा है, वहां चलती हमेशा सैन्य ताकतों की ही है.

नवाज शरीफ का खानदान – वहां की राजनीति भी बहुत अस्थिर है, मगर डावाडोल स्थिति के बाद भी पाकिस्तान भारत में आंतक फैलाने की अपनी हरकत से बाज़ नहीं आता.

Kanchan Singh

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