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महिलाओं से जुड़ी 5 अजीबोगरीब दर्दनाक परम्परायें ! कहीं 6 साल की बच्ची से सेक्स तो कहीं गर्म पत्थर से लड़कियों के उभारों को रोकना

क्या महिलायें शुरुआत से ही मात्र एक भोग वस्तु रही हैं?

या यह संसार ही पुरुष प्रधान रहा है?

दुनियाभर में ऐसे कई रीति-रिवाज हैं जिन पर जल्द से जल्द रोक लगनी चाहिए. आप उस दर्द की कल्पना तभी कर सकते हैं अगर आप एक महिला हैं. रीति-रिवाज और परम्पराओं के नाम पर महिलाओं पर अत्याचार पर अब रोक लगाने का वक़्त आ चुका है.

आज हम आपको महिलाओं से जुड़ी 5 अजीबोगरीब-दर्दनाक परम्पराओं से वाकिफ कराने वाले हैं.

तो आइये जानते हैं इन दर्दनाक रीति-रिवाजों को, महिलाओं से जुड़ी दर्दनाक परम्परायें –

1.   छोटी बच्चियों के साथ सेक्स

अगर किसी सभ्य देश में 6 साल की छोटी बच्ची से सेक्स कोई करता है तो उसे फांसी की सजा निश्चित है. लेकिन पापुआ न्यू गिनी में आदिवासी लोग 6 साल की बच्चियों के साथ सेक्स को शुभ मानते हैं. पापुआ न्यू गिनी इंडोनेशिया के समीप प्रशांत महासागर क्षेत्र में एक स्वतंत्र राष्ट्र है. एक छोटा सा द्वीप समूह. यहाँ ऐसा माना जाता है कि बच्चियों के साथ सेक्स करना शुभ है.

2.   गर्म पत्थरों से लड़कियों के उभार ख़त्म करना

महिलाओं के ब्रेस्ट अगर ज्यादा बढ़ जाए तो इससे पुरुषों की मानसिकता खराब होती है और उनका ध्यान भंग होने लगता है. ऐसा मानना है नाइजीरिया के आदिवासी लोगों का. इसीलिए यहाँ पर गर्म पत्थर से लड़कियों के ब्रेस्ट को तपाया जाता है. इससे ब्रेस्ट का विकास रूप जाता है. इस दर्द को यहाँ की लड़कियां कैसे झेलती हैं यह भी साहस की बात है.

3.   बिना शादी सेक्स मंजूर है

ईरान देश में कुछ जगहों पर बिना शादी के सेक्स क़ानूनी तौर पर चल रहा है. अगर लड़का या लड़की एक दूसरे से सेक्स करके संतुष्ट होना चाहते हैं तो वह ऐसा करके देख सकते हैं. अगर दोनों एक दूसरे की सेक्स परफोर्मेंस से संतुष्ट हैं तो शादी कर सकते हैं.

4. लड़कियों की योनी से क्लाइटॉरिस निकालना

युगांडा के कुछ आदिवासी इलाकों में लड़कियों के लिए दर्द भरा समय तब आता है जब उनकी योनी से क्लाइटॉरिस नामक पार्ट को पूरी तरह से निकाल दिया जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योकि उनकी सेक्स उत्तेजना काबू में रहे.

5.   सबसे भयानक है लड़कियों का खतना

यह प्रथा पूरे विश्व में फैली सबसे खतरनाक प्रथा है. दर्द से भरी इस प्रथा को महिलाओं का खतना बोला जाता है. पूरे विश्व के अन्दर ही यह बीमारी फैली हुई है. छोटी-छोटी मासूम बच्चियों के प्राइवेट पार्ट को ब्लेड की मदद से काट दिया जाता है.

अब आप ही बोलिये कि अन्धविश्वास के नाम पर महिलाओं से जुड़ी दर्दनाक परम्परायें महिलाओं पर अत्याचार नहीं है?

महिलाओं से जुड़ी दर्दनाक परम्परायें ख़त्म होनी चाहिए और जिन समाजों में ऐसी परम्परा है वहां के पुरुषों को क्यों ऐसे रिवाजों से अलग रखा हुआ है. समाज में बराबरी के लिए इन प्रथाओं को खत्म करना जरूरी हो चुका है.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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