वो लड़की दलित थी और उसने कहीं पढ़ा था कि दलितों को अपने घर का दरवाजा खोलकर सोना चाहिए ताकि कोई ठाकुर आये और उनकी आने वाली पीढ़ी को बदल दे.
इसी भूल में वो बिन बिहाई माँ बनने वाली थी लेकिन उसने अपना बच्चा गिरा दिया था.
साल गुजरे तो उस पर जोर डाला गया कि तुम मुस्लिम बन जाओ, तुमको पैसा मिलेगा और हमारे समाज में बराबरी भी मिलेगी. लड़की पहले ही हिन्दू समाज से दुखी थी इसलिए वह मुस्लिम लड़के से शादी कर लेती है. यहाँ पर दलित लड़की को कुछ ही दिनों में पूरे सच का पता चलता है. लड़की इस्लाम छोड़ने की बात करती है, तो उसको मारा जाता है और काटा जाता है.
जैसे-तैसे वह इस्लाम से अलग हो जाती है.
भागकर शहर से दूर दलित लड़की मुंबई के समुद्र किनारे रहने लगती है. एक अकेली लड़की का जीवन जीना मुश्किल होता है इसलिए वह एक मर्द से शादी कर लेती है. मर्द इसाई था और यह बात उसको बाद में पता चलती है. लेकिन ईसाई धर्म के अंधविश्वास दलित लड़की के जीवन को अँधा बना देते हैं और एक दिन इसका पति इसकी हत्या कर देता है.
ये था दलितों का दर्द –
क्या कहना चाहते हैं हम?
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर क्यों हम आपको आज यह कहानी सुना रहे हैं? तो आपको बता दें कि यह कोई कहानी नहीं है बल्कि एक लड़की की सच्चाई है. ये दलितों का दर्द है. एक लड़की जो दलित थी और यही इसकी सजा भी थी. दलित का इस्तेमाल हिन्दू ने भी किया, मुस्लिम ने भी किया और आखिर में उसकी मौत एक ईसाई के हाथों से होती है.
असल में दलितों के साथ हमारा समाज किस तरह का व्यवहार कर रहा है, यह कहानी वही बता रही हैं. मुसलमान दलितों का उपयोग जनसँख्या बढ़ाने के लिए कर रहे हैं तो ईसाई दलितों से देश को तोड़ने का काम कर रहा है. दलितों के दर्द को कोई भी राजनैतिक पार्टी समझने की कोशिश नहीं कर रही है. बसपा के लिए दलित बस वोट हैं, सपा के लिए यह लोग मनोरंजन हैं और कांग्रेस-बीजेपी के पास इन लोगों के लिए वक़्त नहीं है.
आरक्षण के होते हुए भी यह लोग आर्थिक स्थिति में काफी पिछड़े हुए हैं. पढने के साधन नहीं है. कहीं दलितों के लिए स्कूल ही नहीं है. माता-पिता नहीं पढ़ सके हैं, इसलिए बेटा भी आजतक समाज का कूड़ा ही उठा रहा है.
आपके परिवार के साथ ऐसा हो जाये तो समझ आ जाये दर्द
दलितों ने जरा सी आवाज क्या बुलंद कर ली कि समाज का ऊँच वर्ग हिल जाता है. सड़क पर दलित महिला को नंगा करके बलात्कार की खबरें भी देश में आती हैं और कहीं पूरे दलित परिवार को नंगा करके सड़क पर खड़ा करने की भी खबरें आती रहती हैं.
दलित की लड़की को कोई भी कहीं भी कैसे भी, खेत में उठाकर ले जाता है और बलात्कार कर देता है. हम चाहे तो आपको औरों की तरह आकड़े दिखा सकते हैं किन्तु आज हमारा उद्देश्य आप तक दलितों का दर्द पहुँचाना ही है. बेटी का बलात्कार होता है और हत्या कर दी जाती है.
दलितों को ऊँचे लोग अपना मूत्र तक पिलाते देखे गये हैं. कोई दलितों को गाय का गोबर खीला देता है तो कोई गाय के नाम पर दलित की हत्या करता है.
क्या अगर ऐसा ही कुछ यह दलित आपके साथ करने लगें तो क्या वाकई आपके साथ यह सही होगा. दलितों का शोषण हजारों सालों से हो रहा है. दलितों को पूजा करने से रोका गया और यहाँ तक कि इनके घर गाँव से अलग बनाये गये.
तो कैसे दूर करें दलितों का दर्द ?
दलित अत्याचार अगर समाज से खत्म करना तो उसके लिए इन लोगों से ऊँच जाति के लोगों को रोटी और बेटी का सम्बन्ध जोड़ना होगा.
दलितों को शिक्षा दी जाये और साथ ही साथ बड़ी नौकरियों में इनको हिस्सेदारी दी जाये. जब यह लोग पढ़ लिख लेंगे, तब हिन्दू समाज के ऊँच वर्ग के लोगों को इनसे बेटी-बेटे का अगर संबंध जोड़ा जाये तो हालात जल्द से जल्द सुधर सकते हैं.
वैसे भी आपको पता होना ही चाहिए कि मुस्लिम विदेशी शासकों के भारत में आने से पहले दलितों की कोई भी जाति देश में नहीं थी.
दलित ब्राह्मण भी बन रहे थे और दलित भारत के क्षत्रिय लोग ही थे. इन्होनें मुस्लिम लोगों से लड़ाई लड़ी हैं और बाद में इस्लाम ना ग्रहण करते हुए, इन लोगों ने मुस्लिम लोगों की गंदगी साफ करना स्वीकार किया था.
तो आज हिन्दू समाज को, अपने इन दलित भाइयों को पहचानने की आवश्यकता है और दलितों पर अत्याचार जल्द से जल्द खत्म कर देना चाहिए.
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