फिल्म पद्मावती विवाद बढता ही चला जा रहा है.
अब तो माहौल इतना गरम का हो चुका है कि फिल्म अब रिलीज़ होगी भी या नहीं, इस बात का कोई अंदाजा नही लगा पा रहा है.
इसी बीच अब रानी पद्मावती और रावल रतन सिन्ह के वंशज सामने आए हैं और उन्होंने फिल्म के कई हिस्सों पर एतराज़ जताया है. मेवाड़ में रहने वाले इस राजघराने का कहना है कि खिलजी को हीरो बताना, घूमर के गलत प्रोजेक्शन और रानी पदमावती से जुडे अन्य तथ्यों को फिल्म में तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है.
साथ ही उनका यह भी कहना है कि वो बयानबाजी या तोड-फ़ोड में यकीन नही रखते हैं, बल्कि वह इस मसले को बातचीत से सुलझाना चाहते हैं. दरअसल, रानी पदमावती मेवाड की महारानी थी और उनके इन वंशजों को इस फिल्म से इन कारणों से एतराज है. तो आइए आपको बताते हैं वो वजहें –
फिल्म पद्मावती विवाद –
- रानी की कहानी कोई मजाक नही, ये अस्मिता का सवाल है
मेवाड़ राजघराने के वंशज अरविंद सिन्ह मेवाड़ का कहना है कि “इस मसले को बैठ कर सुलझाया जाए. इस प्रकार के रोष और आक्रामक रुख को अपनाने से कुछ नहींहोता, आक्रामकता से सभी पक्षों को नुकसान है. यह कोई हार जीत का मसला नहीं, ना ही ये चित्तौड़ और राजस्थान का मसला है, यह पूरे देश की महिलाओं की अस्मिता का सवाल है”.
- फिल्म में आप असलियत बता नहीं पाएंगे
“सही मायनों में बताएं तो फिल्म के निर्माता इसे केवल बिजनेस के रूप से देख रहे हैं. जिस कारण फिल्म में कई जगहों को बदला गया है क्योंकि अगर इसे वैसा ही बनाया गया जैसा हकीकत में हुआ था तो यह फिल्म बेहद रुखी लगेगी जिससे फिल्म बनाने वालों को कोई फायदा नहीं होगा. मैं चाहता हूं, आप ऐसी फिल्म बनाएं जिससे किसी समाज की भावनाओं को ठेस ना पहुंचे”.
- तथ्यों से परे जाकर कुछ दिखाना आर्टिस्टिक लाइसेंस के दायरे में नहीं
– “पूरा समाज उमड़ पड़ा है. आज बच्चे इतिहास नहीं पढते. बडे अफसोस की बात है कि आजकल के बच्चे इतिहास को फिल्मों के ज़रिए से देखते हैं और उसी को वे सच मान बैठते हैं. मैंने यह फिल्म नहीं देखी है लेकिन फिर भी जितना कुछ देखने को मिला है, उस से यह साफतौर पर जाहिर है कि यह फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों पर अधारित नहीं है”.
- पैसा ही सबकुछ नही होता, एंटरटेनमेंट के नाम पर भावनाएं आहत ना करें
इस विषय पर अरविंद सिन्ह मेवाड़ के बेटे का कहना है कि “इतिहास के साथ छेड़छाड़ मेवाड़ बर्दाशत नही करेगा. संजय लीला भंसाली से मेरा सवाल यह है कि क्या रानी पद्मावती जैसे पवित्र विषय को मनोरंजन के रूप में पेश करना किसी डायरेक्टर की जिम्मेदाराना वर्कस्टाइल है? एंटरटेनमेंट के नाम पर इतिहास, संस्कृति और जन भावनाओं को आहत करने से रोकने के लिए सरकार को सख्त कानून बनाने चाहिए”.
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