सफलता की कहानियाँ

होंडा के मालिक को कभी बम ने कर दिया था बर्बाद

देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में होंडा मोटर कंपनी को जाना जाता है। ये कंपनी 140 से भी ज्‍यादा देशों में होंडा की बाइक्‍स, कारें और बोट मोटर्स के साथ-साथ मिनी ट्रैक्‍टर्स, पॉवर स्‍टेशन आदि बेचती है।

इस कंपनी को इस मुकाम तक पहुंचाने में साईचिरो  होंडा ने सबसे ज्‍यादा मेहनत की थी। उनके पास तब ना तो किसी बड़े कॉलेज की डिग्री थी और ना ही परिवार का साथ था। इस सबके बावजूद साईचिरो  होंडा ने अपनी खुद की कंपनी को खड़ा कर दिया। आज हम आपको होंडा कंपनी की नींव रखने वाले साइचिरो होंडा के बारे में ही बताने जा रहे हैं।

उनका जन्‍म 17 नवंबर 1996 को जापान के हमामटसू शिजूओका में हुआ था। उनकी मां कपड़े बुनने का काम करती थी और उनके पिता साइकिल रिपेयर करने का काम करते थे। उनके पिता बेहद काम दाम पर टूटी हुई बाइक्‍स खरीदते थे और उसे रिपेयर करके बेचते थे।

मैकेनिक का किया काम

1922 में 8 साल की उम्र में स्‍कूल की पढ़ाई करने के बाद साईचिरो  ने एक दिन अखबार में टोक्‍यो में एक आर्ट शोकाई ऑटो रिपेयर शॉप में एसिस्‍टेंट की नौकरी देखी। तब वो अपना सब कुछ छोड़कर टोक्‍यो चले गए लेकिन कम उम्र होने के कारण उन्‍हें सफाई और खाना बनाने का काम ही मिल सका। इसके बावजूद ऑटो रिपेयर शॉप के मालिक ने साईचिरो  को दूसरी वर्कशॉप में हर रात रेसिंग कार डिजाइन करने की अनुमति दे दी।

साईचिरो इसके बाद एक वर्कशॉप में काम करने लगे और तब वर्कशॉप का काम बढ़ने लगा तो मालिक ने अपनी कई फ्रेंचाइजी खोल दी जिसमें से एक सोईचिरो को मिली। एक कार रेसिंग के दौरान उनका गंभीर एक्‍सीड़ें हो गया और वो महीनों तक अस्‍पताल में ही रहे। यहां से निकलते ही उन्‍होंने अपना खुद का बिजनेस शुरु किया। 1937 में उन्‍होंने अपनी कंपनी टोकाई सिकी के नाम से शुरु की।

दूसरे विश्‍वयुद्ध के दौरान जापान की हार के बाद साइचिरो को अपनी कंपनी बेचनी पड़ी। 1945 में हमामतसू में अमेरिकी एयरक्राफ्ट ने भारी बमबारी की। देश को गरीबी की चपेट में आते देख उन्‍होंने दोबरा कंपनी नहीं शुरु करने का फैसला किया और अपनी कंपनी बेच दी

1945 में होंडा ने अपनी खुद की फैक्‍ट्री ‘होंडा टेक्‍नोलॉजी रिसर्च इंस्‍टीट्यूट’  और मोपेट का प्रोडेक्‍शन शुरु किया। 1949 में उन्‍होंने दो स्‍ट्रोक ईंजन के साथ पहली मोटरसाइकिल ‘द ड्रीम’ को बनाया। 1958 में उनका मॉडल सुपर क्‍लब में शामिल हो गया। उन्‍होंने 50 जापानी कंपनियों को ही नहीं बल्कि दूसरे देशों के 200 कॉम्‍पीटिटर्स को भी पीछे छोड़ दिया। 80 के दशक तक होंडा का ग्‍लोबल मोटरसाइकिल इंडस्‍ट्री का 60 फीसदी हिस्‍सा कब्‍जा लिया। इतना ही नहीं, 80 के दशक में होंडा जापान की तीसरी सबसे बड़ी कार मैन्‍यूफैक्‍चरर भी बन गई।

इस कहानी से एक बात तो पता चलती है कि आज जो आप ये टाटा, अंबानी, होंडा आदि जैसे बड़े-बड़े लोग इतनी आसानी से ही आज यहां तक पहुंच पाए हैं। इस मुकाम को हासिल करने के लिए उन्‍हें बहुत मेहनत और पापड़ बेलने पड़े हैं तभी वो दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शामिल हुए हैं। अब ऐसे ही कभी भी इनकी कामयाबी पर कोई सवाल मत उठा दीजिएगा क्‍योंकि यहां पहुंचने में इन्‍हें बहुत मेहनत लगी है।

Parul Rohtagi

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Parul Rohtagi

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