कई बार ऐसा होता है कि इतिहास खुद को दुबारा दोहराता है.
यह बात निश्चित रूप से पूरी तरह सिद्ध होती हुई दिख रही है.
अभी हल ही में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने जब यह बोला कि मैं कभी भारत माता की जय नहीं बोलूँगा तो ऐसा लगा कि इतिहास खुद को दोहरा रहा है.
ऐसा ही एक बार आजादी के समय तब हैदराबाद के निजाम ने बोला था कि वह कभी भी भारत का हिस्सा नहीं बनेंगे.
बात उन दिनों की है जब भारत आजाद हो गया था लेकिन अंग्रेज देश की कुछ रियासतों को स्वतंत्र छोड़ गये थे. ये रियासतें पाकिस्तान भी बन सकती थी और भारत में भी शामिल हो सकती थी.
आज ओवैसी जिस बात को लेकर भारत से इतना खफा रहता है वह यही है कि इनके पूर्वज कभी भी भारत देश में शामिल नहीं होना चाहते थे. वह भी कभी भारत माता की जय नहीं बोलते थे.
तो क्या किया था सरदार पटेल ने याद रखो ओवैसी
15 अगस्त, 1947 तक हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ को छोड़कर शेष भारतीय रियासतें ‘भारत संघ’ में सम्मिलित हो गईं थीं. इसके साथ ही साथ हैदराबाद जहाँ काफी संख्या में हिन्दू थे उनपर अत्याचार हो रहे थे. उनको मारा जा रहा था ताकि वह हैदराबाद छोड़कर चले जायें. जूनागढ़ के नवाब के विरुद्ध जब बहुत विरोध हुआ तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और जूनागढ भी भारत में मिल गया.
जब हैदराबाद के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने वहां सेना भेजकर निजाम का आत्म समर्पण करा लिया था. वोही निजाम जो भारत माता की जय नहीं करता था वह मात्र दो दिनों में सेना के सामने हार मान गया था.
कुलमिलाकर देखा जाए तो आज भी भारत देश को एक सरदार पटेल जैसे लौह पुरुष की तलाश है जो देश में एकता और अखंडता लाने में फिर से सफल हो सके. जो लोग देश को तोड़ना चाह रहे हैं या जो मोहल्ले के नेता की भांति व्यवहार कर रहे हैं उन नेताओं को उनका इतिहास याद दिलाना जरुरी होता जा रहा है.
राज्यसभा में जावेद अख्तर ने दिया जवाब
राज्यसभा से विदा ले रहे सदस्य जावेद अख्तर ने तीन बार भारत माता की जय वाले नारे लगाये और अपने अंतिम भाषण को देते हुए कहा: – “आंध्र प्रदेश में एक शख्स हैं जिन्हें गुमान हो गया है कि वह राष्ट्रीय नेता हैं. जिनकी हैसियत एक शहर या एक मुहल्ले से ज्यादा नहीं है. वह कहते हैं कि वह किसी भी कीमत पर ‘भारत माता की जय’ नहीं बोलेंगे क्योंकि यह संविधान में नहीं लिखा है. तो वह बताएं कि संविधान में शेरवानी और टोपी पहनने की बात कहां लिखी है. उन्होंने कहा, ‘बात यह नहीं है कि भारत माता की जय बोलना मेरा कर्तव्य है या नहीं, बात यह है कि भारत माता की जय बोलना मेरा अधिकार है. मैं कहता हूं- भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय…”
तो अभी तो ओवैसी को यह दो बातें जरुर याद रखनी चाहिए. पहली बात जो जावेद अख्तर ने बोली हैं और दूसरी बात जो इतिहास में लिखी है. जब उनके पूर्वज भारत के जय बोलने से इंकार कर रहे थे तो अचानक से ही सेना ने उनसे वह सब बुलवा लिया था जो वह नहीं बोलना चाहते थे.