बेटा बुआ के साथ जाना चाहता है और बुआ को भी भतीजे का साथ पसंद है. लेकिन पापा को ये सब गंवारा नहीं है.
जी हां, यहां बात भतीजे अखिलेश यादव और बुआ मायावती की हो रही है. जो भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनाने के लिए एक साथ आने को तैयार है. लेकिन बापू मुलायम सिंह को बुआ भतीजों की ये जुगलबंदी कतई पसंद नहीं हैं.
वे बेटे अखिलेश के इस बीजेपी विरोधी गठबंधन के सुझाव को नकार चुके हैं. याद दिला दें कि मैनपुरी में एक कार्यक्रम में मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि समाजवादी पार्टी को किसी भी दल से गठबंधन की कोई जरूरत नहीं हैं. कांग्रेस से गठबंधन का हाल सब देख चुके हैं.
यानी वे कांग्रेस से अखिलेश के विधानसभा चुनावों में गठबंधन को लेकर न केवल अखिलेश पर निशाना साध रहे हैं बल्कि उनके निर्णय को लेकर उन्हें कठघरे में भी खड़ा कर रहे हैं.
यही नहीं मुलायम का यह कहना कि समाजवादी पार्टी किसी से भी अकेले लड़ने और जीतने में सक्षम है, संकेत करता है कि यदि अखिलेश मुलायम की मर्जी के बिना बसपा के साथ गए तो सपा दो फाड़ भी हो सकती है.
बताते चलें कि इससे पहले अखिलेश यादव ने ऐलान किया था कि बीजेपी विरोधी गठबंधन को समाजवादी पार्टी समर्थन करेगी. अखिलेश यादव तो बहुजन समाज पार्टी की मायावती के साथ गठबंधन को लेकर भी काफी सकारात्मक रुख दिखा चुके हैं.
लेकिन इस बार सकारात्मक संकेत मायावती के ओर से मिला. अंबेडकर जयंती के दिन मायावती ने कहा कि भाजपा को रोकने लिए बसपा भाजपा विरोधी किसी भी दल के साथ हाथ मिलाने को तैयार है.
लेकिन मुलायम सिंह ने बीजेपी विरोधी गठबंधन को लेकर अपनी नाराजगी अभी से ही जता दी है.
हालांकि भाजपा को रोकने के लिए आस लगाए बैठे कई राजनीति दलों को जहां अखिलेश और मायावती के बयान की तारीफ की है वहीं उन्होंने मुलायम सिंह को वर्तमान राजनीति हालात को न समझने के लिए उनकी आलोचना भी की है.
मुलायम के पुराने साथी और एक समय उनके साथ सपा में रहे जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव पर तंज भी कसा है. उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव भाजपा की मौजूदा स्थिति से वाकिफ नहीं हैं. भाजपा अब पुरानी भाजपा नहीं रही. ये 2017 की भाजपा है. उन्होंने कहा, मुलायम सिंह यादव अब भी बीते पलों में जी रहे हैं.
अभी तक यूपी विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद से हार के लिए लगातार ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोप लगाने वाले राजनीतिक दलों के मुखियाओं को अब समझ में आ रहा है कि हार की वजह ईवीएम में नहीं बल्कि उनके कुशासन में छिपी है.
इसलिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बसपा प्रमुख मायावती भले ही अब बीजेपी विरोधी गठबंधन के आसरे भाजपा को रोकने की तैयारी कर रहे हो लेकिन बिना मुलायम सिंह और कांग्रेस के उनकी ये मुहिम परवान नहीं चढ़ने वाली है.
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