ऑपरच्यूनिटी रोवर – नासा कुछ अंतरालों के बाद अतरिक्ष में उपग्रह भेजते रहता है।
इस कारण ही नासा को पहले ही मालूम चल जाता था कि दुनिया में कू कौन सा तूफान आने वाला है और किस हिस्से में बारिश ज्यादा होगी। हाल-फिलहाल में नासा द्वारा मंगल पर भेजा गया ऑपरच्यूनिटी रोवर सबसे ज्यादा खबरों में रहा है। लेकिन हाल ही में यह खबरों में इसलिए रहा है क्योंकि इसका नासा से संपर्क टूट गया है। जिसके कारण नासा में काम करने वाले सारे वैज्ञानिक काफी परेशान है।
क्या है ऑपरच्यूनिटी रोवर?
ऑपरच्यूनिटी रोवर नासा का एक महत्वाकांक्षी उपग्रह है जिसे मंगल की जमीन की जानकारी लेने के लिए प्रक्षेपित किया गया था। इसे जुलाई 2003 में लॉन्च किया गया था। ऑपरच्यूनिटी रोवर को MER-B (Mars Exploration Rover – B) या MER-1 भी कहते हैं जो एक रोबोटिक रोवर है। यह मंगल पर पहुंच कर 2004 से एक्टिव रहा था। इसे नासा के Mars Exploration Rover program के तहत लॉन्च किया गया था।
आंधी-तुफानों की दे रहा था जानकारी
यह रोवर मंगल में आ रहे आंधी-तुफानों की जानकारी देता है। मंगल ग्रह पर ऑपरच्यूनिटी रोवर ने पहुंचकर अपना एक ठहराव स्थल चुन लिया था। जहां आसमान के साफ होने के बाद इस सौर संचालित अन्वेषण यान को स्वत: ही वापस अपनी स्थिति में लौटने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सूर्य की किरणें मिलने लगीं और रोवर मंगल के बारे में साफ-साफ जानकारी भेजने लगा।
ठप हो गया था ऑपरच्यूनिटी रोवर
लेकिन इस साल की शुरुआत में आंधी-तुफानों के कारण रोवर ठप पड़ गया था। नासा ने एक बयान में बताया कि अपरच्यूनिटी मिशन टीम ने रोवर से सफलतापूर्वक संपर्क की उच्चतम संभावना हासिल करने और उसे वापस लाने के लिए के लिए दो चरण वाली एक योजना विकसित की है। इसने कहा कि मंगल ग्रह को पूरी तरह घेर चुका धूल का आवरण घटने लगा है। इस आवरण का 30 मई को पता चला था और उसकी वजह से करीब 15 साल पुराने ऑपरच्यूनिटी रोवर का संचालन ठप हो गया था।
चला गया है शटडाउन मोड में
नासा के अधिकारियों का मानना है कि रोवल बंद होकर शटडाउन मोड में चला गया है। पूरा सिस्टम ऑफलाइन हो गया है जिसके कारण मानवरहित यान शटडाउन मोड में चला गया है और इसका पूरा सिस्टम ऑफलाइन हो गया है।
नासा की चिंताएं बढ़ीं
रोवर के शटडाउन मोड में जाने से इसकी वजह से इसके अस्तित्व को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। दरअसल धूल के गुबार के कारण यह रोवर ऑफलाइन हो गया था। इस रोवर से मिली अंतिम जानकारी के अनुसार रोवर के ठहरने वाले स्थान के लगभग 1.4 करोड़ वर्ग मील (3.5 करोड़ वर्ग किलोमीटर) फैले इलाके में धूल के गुबार की परत सी बिछ गई है। NASA की जेट प्रपल्शन लैबरेटरी में ऑपरच्युनिटी के प्रॉजेक्ट मैनेजर जॉन कालास ने बताया कि ऑपरच्युनिटी को मंगल ग्रह पर परसीवरेंस वैली नाम की जगह पर देखा गया है। ऑपरच्युनिटी शटडाउन में चला गया है। हमें आंधी खत्म होने का इंतजार है।
उन्होंने कहा, ‘हम सभी को इस बात की चिंता है लेकिन उम्मीद भी है कि आंधी खत्म हो जाएगी और रोवर फिर से हमसे संपर्क करने में सक्षम होगा।’ सबसे पहले 30 मई को आंधी का पता चला था और हालिया दिनों में यह और भीषण होती गई। रोबॉटिक यान से आखिरी बार 10 जून को संपर्क हुआ था। मंगल पर जीवन का पता लगाने के लिये ऑपरच्युनिटी और स्पिरिट नामक दो रोबॉटिक यानों को वर्ष 2003 में प्रक्षेपित किया गया था। एक साल बाद ये मंगल की धरती पर पहुंचे थे।
फिलहाल नासा के वैज्ञानिक रोवर वापस लाने के लिए लिसनिंग व कमांडिंग मेथड्स के जोड़ का इस्तेमाल कर रहे हैं। संभावना है कि इस ऑपरच्यूनिटी रोवर के सोलर पैनल पर धूल जम गई होगी जो इस लिसनिंग मेथड से हट जाए।
उम्मीद है कि नासा की ये कोशिश पूरी हो जाए।