वैसे, ऐसे तो बहुत से नाम हैं, जो बाहर के देशों में अपने फेन रखते हैं.
जिसमें अमिताभ बच्चन, रंजनीकान्त, मिथुन चक्रव्रती, शाहरुख़ खान, सलमान खान, और ऋतिक रोशन के नाम बहुत आम हैं. अब आपको लेकर चलते हैं, कई ऐसे नामों के पास जो भारत से बाहर विश्व के कई अन्य देशों में अपनी एक्टिंग से दर्शकों का मनोरंजन कर चुके हैं. यहाँ ये जानना भी काफी रोचक है कि इनमें अधिकतर वो नाम हैं, जो अपने शुरूआती दिनों में, अपने ही देश के अन्दर एक ब्रेक पाने के लिए दर-बदर की ठोकर खा चुके हैं.
इनका कोई भी रिश्ता बॉलीवुड से नहीं था, लेकिन अपनी मेहनत के दम पर ये सभी, अपना नाम इस लिस्ट में दर्ज करा चुके हैं.
ना तो इनका कोई भारी-भरकम शरीर था, ना ही चाकलेटी चेहरा. पर इन्होनें अपनी मेहनत के दम पर ना सिर्फ बॉलीवुड बल्कि हॉलीवुड में भी अपनी जगह बनाई है.
अमरीश पूरी
लेट अमरीश पूरी भारतीय सिनेमा के पहले उन पहले अभिनेताओं में गिने जाते हैं, जो सबसे पहले सात समंदर पार की दुनिया में, अपनी एक्टिंग का जादू बिखेरकर चुके हैं. अमरीश पुरी ने ‘जुरैसिक पार्क’ जैसी ब्लाकबस्टर फ़िल्म के निर्माता स्टीवन स्पीलबर्ग की मशहूर फ़िल्म ‘इंडियाना जोंस एंड द टेंपल ऑफ़ डूम’ में खलनायक के रूप में माँ काली के भक्त का किरदार निभाया था। इस किरदार ने इन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। कभी अमरीश पूरी ने देश में सिनेमा के अन्दर आने से पहले एक बीमा कंपनी में काम किया था. यहाँ बॉलीवुड में वह खलनायक नहीं, नायक बनने की चाहत रखते थे. पर 1971 में जब इन्होनें ‘रेश्मा’ और ‘शेरा’ के अंदर खलनायक की भूमिका निभाई, तो यही इनकी पहचान बनकर रह गया.
अनुपम खेर
अनुपम खेर के बारे में आपको शायद किसी और परिचय की जरूरत शायद ना हो, क्योंकी इनका नाम ही इनका परिचय है. 7 मार्च 1955 को जन्में अनुपम खेर, कश्मीरी पंडित हैं. काफी संघर्ष के बाद 1982 में इनकी शुरुआत ‘आगमन’ नामक फिल्म से हुई. लेकिन 1984 में आई ‘सारांश’ इनकी पहली हिट फिल्म रही. इसके अलावा परिंदा, त्रिदेव, चादंनी, हम आपके हैं कौन, स्पेशल-26, एवं बेबी जैसी फिल्मों में तो काम कर ही चुके हैं. वहीँ देश के बाहर वह ‘मिस्ट्रेस ऑफ स्पाइस‘’ और ‘ब्राइड एंड प्रिजूयिड्स’ में अपना जलवा विदेशी फिल्मों में दिखा चुके हैं.
इरफ़ान खान
इरफ़ान खान ने बॉलीवुड के अन्दर आने के लिए बहुत बड़ा संघर्ष किया है. भारतीय सिनेमा में आने से पहले इरफ़ान ने थियटर की दुनिया में खूब काम किया. यहाँ से निकलकर वह टेलीविज़न की दुनिया में आये. जहाँ इन्होनें चाणक्य, भारत एक खोज, सारा जहाँ हमारा और चंद्रकांता में काम करके अपनी पहचान बनाने की कोशिश की. बॉलीवुड में एक हिट के लिए इनको लम्बा इंतज़ार करना पड़ा. जब विशाल भरद्वाज ने मकबूल फिल्म में इनको काम करने का मौका दिया, तब इन्होनें अपनी एक्टिंग से सभी का दिल जीत लिया, जिसके बाद इरफ़ान खान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा में इन्होनें, अभी हाल में ऑस्कर जीतने वाली फिल्म ‘लाइफ ऑफ़ पाई‘ में अपनी अदाकारी से सबका दिल जीत लिया था. इसके साथ-साथ स्पाइडर-मेन, इससे पहले स्लमडॉग मिलिनेयर में हम इनको देख चुके हैं. अभी इनको जुरासिक-पार्क के लिए भी ऑफर आ चुका है.
नसीरुद्दीन शाह
20 जुलाई 1950 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में जन्मे नसीरुद्दीन शाह को देश में तो सभी जानते हैं. कौन भूल सकता है ‘पार, निशान्त, आक्रोश, अर्धसत्य, कथा, मासूम, कर्मा, इजाज़त, मोहरा, सरफ़रोश, इक़बाल, ए वेडनस डे और खुदा के लिए’ इन फिल्मों में इनकी अदाकारी की. नसीरुद्दीन शाह ने इसके साथ-साथ ‘The League of Extraordinary Gentlemen’ में अपनी एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीत चुके हैं. और देश के बाहर भी नाम कमा चुके हैं.
अब हम देख सकते हैं कि भारत के अन्दर बेशक ये लोग सुपर-स्टार नहीं बन पाए, पर अपनी एक्टिंग के दम पर ये लोग सात समंदर पार भी अपनी अदाकारी का डंका बजाकर आ चुके हैं.