महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के अधिकारों को ले कर जैसे आज हर तरफ एक जंग छिड़ी है|
लेकिन क्या उस बदलाव की झलक देखने को मिलती है जिसे आज का महिला वर्ग देखने के लिए बेहद उत्सुक है?
शायद नहीं!
पढ़िए यह कहानी एक मल्टीनैशनल की महिला कर्मचारी की ज़बानी जिसे स्लीवलेस पहन कर हॉट बन के इंटरव्यू के लिए आने के लिए कहा गया था!
हम ने महिला का नाम यहाँ बदल दिया है ताक़ि उन महिला के सम्मान को कोई ठेस न पहुँचे|
लेकिन बाक़ी की सारी कहानी उनकी अपनी असल आपबीती है जो उन्होंने हमारे साथ साँझी की है|
” मेरा नाम प्रियांशी चैटर्जी है और मैंने दिल्ली के एक बड़े इंस्टिट्यूट से मल्टीमीडिया और ग्राफ़िक्स की स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की है| मैं दिल्ली के एक माध्यम वर्गीय परिवार से हूँ और नौकरी करना मेरे शौंक से ज़्यादा मेरी ज़रुरत है| मेरे पापा एक मामूली ऑफिस में नौकरी करते हैं और उन्होंने बड़ी मुश्किल से मुझे यह महंगा कोर्स करवाया है, वो भी सिर्फ इसलिए की आजकल इस की बड़ी डिमांड है और अच्छी नौकरी मिल जाने पर बहुत अच्छी तनख्वाह मिलती है|
अपनी डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने कई कम्पनियोँ में नौकरी के लिए अप्लाई किया| बहुत सी जगह से कोई जवाब ही नहीं आया| बहुत जगह से मैं पहले इंटरव्यू में रिजेक्ट हो गयी और कई जगह से फाइनल इंटरव्यू में रिजेक्ट हो गयी| मुझे समझ नहीं आता था की मेरे रिजेक्ट होने के कारण क्या हैं क्योंकि इंस्टिट्यूट में मेरे ग्रेड्स और परफॉरमेंस बहुत अच्छी रही थी| लेकिन हासिल की हुयी शिक्षा को प्रैक्टिकल रूप में आज़माने का मौका तो मुझे अच्छी नौकरी में ही मिल सकता था|
एक दिन मुझे एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी से इंटरव्यू का बुलावा आया| मैंने इंटरव्यू दे दिया लेकिन फिर रिजेक्ट हो गयी| इस बार मैंने फैसला कर लिया कि मैं कारण ज़रूर जानूँगी अपने बार बार रिजेक्ट होने का | मैं वहाँ के HR ऑफिस में कोऑर्डिनेटर के पास गयी और अपने रिजेक्ट होने का कारण पूछा| कोऑर्डिनेटर ने मुझे अपना फ़ोन नंबर थमा दिया और मुझे ऑफिस के बाद फ़ोन करने के लिए कहा| मैंने शाम को उसे फ़ोन किया तो जनाब ने मुझ से सीधे सीधे ही पूछा, “सेलेक्ट होना है?” मैंने कहा हाँ क्यों नहीं| तो कोर्डिनेटर ने मुझ से कहा की मैं आप का अगले लेवल का इंटरव्यू फिक्स करवा देता हूँ ब्रांच मैनेजर के साथ| आप ज़रा स्लीवलेस वगैहरा पेहेन कर हॉट बन कर आईयेगा, इम्प्रैशन पड़ेगा| आप सेलेक्ट हो जाएँगी इस की गारंटी मैं लेता हूँ| और हाँ नौकरी लगने पर पहली तनख्वाह का २५ प्रतिशत मैं लूँगा|
मैं मजबूर थी| मुझे नौकरी चाहिए थी| उस ने मुझ से जैसा कहा मैंने वैसा ही किया| ठीक उसी तरह तैयार हो कर इंटरव्यू के लिए गयी| मैनेजर ने मुझे से मेरे काम को ले कर कोई ख़ास सवाल नहीं किये| बस मुझे घूरता रहा और यहाँ वहाँ के सवाल पूछता रहा|
आज मेरी नौकरी उसी कंपनी में लगे हुए ३ महीने हो गए हैं| मैंने उस कोर्डिनेटर को उसका २५ प्रतिशत भी दे दिया है| लेकिन जानते हैं मैं हर रोज़ किस इंतज़ार में हूँ? या ये कहिये की किस डर में हूँ? कि कब वो मैनेजर मुझे नौकरी से निकालने की धमकी दे कर रात को अपने घर पर आने के लिए कहेगा या फिर किसी होटल में चलने के लिए|
उस वक़्त मुझे क्या करना चाहिए, मैं नहीं जानती|
क्या आप जानते हैं?”
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