चेतन भगत द्वारा लिखी किताब हाफ गर्लफ्रेंड अपर फिल्म भी बन गई अब.
किताब के बारे में बहुत लोग नहीं जानते थे, लेकिन जैसे ही फिल्म बनी, समाज में इसका रिवाज़ बढ़ गया.
अब लड़कियां धड़ल्ले से एक नहीं बल्कि कई लड़कों की हाफ गर्लफ्रेंड बन रही हैं और अपना काम निकाल रही हैं. लडके भी इसमें पीछे नहीं हैं. एक लड़की को गर्लफ्रेंड बनाने की बजाय वो भी कइयों को हाफ गर्लफ्रेंड बना रहे हैं.
गर्मी की छुट्टियाँ लगभग ख़त्म होने वाली है. कहीं कहीं कॉलेज खुल गए हैं तो कहीं खुलने वाले हैं. ऐसे में कॉलेज के प्रति युवा पीढ़ी का ध्यान खूब जा रहा है. कॉलेज के लिए नए कपडे, बैग, शूज़ आदि की शोपिंग हो रही है. कुछ लोग न्यू मोबाइल खरीद रहे हैं ताकि बेहतर सेल्फी ली जा सके और फेसबुक पर अपलोड की जा सके.
कॉलेज का फीवर युवाओं पर ऐसा चढ़ा है कि वो राह चलते एक ऐसे विषय पर बात कर रहे हैं, जिसे कॉलेज खुलते ही आजमाएंगे.
जी हाँ, सुनकर बड़ी हैरानी होगी आपको, लेकिन ये सच है. कुछ दिन पहले की ही बात है. एक मॉल में मैं अपनी फॅमिली के साथ घूमने गई. वहां पर कुछ २० लड़के-लड़कियों का ग्रुप मिला. उनके बात करने का विषय बड़ा ही interesting लगा.
विषय था हाफ गर्लफ्रेंड. वहां मौजूद सभी ये कहने में ज़रा भी नहीं हिचकिचा रहे थे कि वो या तो हाफ गर्लफ्रेंड बनाना चाहते हैं या लड़कियां ऐसा बनना चाहती हैं. लड़कियां पहले से ही डिसाइड कर चुकी हैं कि एक साल में वो किसकी-किसकी हाफ गर्लफ्रेंड बनेंगी. इतना ही नहीं अगले साल का कोटा भी उनका बुक हो चूका है. कुछ लड़कियां तो अपने शहर से दूर के लडके को भी अपना बॉयफ्रेंड बता रही थीं.
ज़माना बड़ी तेज़ी से बदल रहा है. युवाओं की ये सोच आपको हैरान कर सकती है. उन्हें शायद ऐसा करने में मज़ा आ रहा है. उन्हें ऐसा लग रहा है कि जब इसपर फिल्म बन सकती है और किताब लिखी जा सकती है तो इसे निजी लाइफ में उतारा भी जा सकता है.
बहरहाल अब तो आज के युवा ही जानें कि वो किस किस रिश्ते को हाफ जीना चाहते हैं और किसे फुल.