बाशु दादा
दिमाग कम ताकत ज्यादा ऐसा था बाशु दादा. मुंबई में गुंडागर्दी का दूसरा नाम. उसका सबसे बड़ा हथियार उसकी ताकत थी. पहलवान जैसा बदन और वैसा ही खान पान बाशु दादा के खौफ से पूरा इलाका काँपता था.
एक छोटी सी गलती ने ना सिर्फ बाशु की ताकत को तोड़ दिया बल्कि उसकी इज्ज़त भी मिट्टी में मिला दी थी. किशोर दाऊद इब्राहीम से पंगा लिया बाशु ने और नतीजा ये हुआ कि बाशु को सब कुछ छोड़ कर भाग जाना हुआ.
श्रृंखला की आगे की कड़ियों में आपको बताएँगे पूरी कहानी.
बड़ा राजन
(बड़ा राजन के जीवन से प्रेरित होकर 1991 में मलयालम में अभिमन्यु फिल्म बनायीं गयी थी )
राजन नायर उर्फ़ बड़ा राजन. एक योग्य और मेहनतकश आदमी को एक खूंखार गंस्टर बनाने के लिए ज़िम्मेदार थी एक छोटी सी चोरी.
राजन एक मेहनती आदमी था दिन भर मेहनत के बाद भी उसे बमुश्किल 30-40 रुपये ही मिलते थे, ऐसे में अपनी माशूका के जन्मदिन पर कुछ अच्छा तोहफा देने के लिए राजन ने अपनी फैक्ट्री से एक टाइपराइटर चुराया.
उसके बाद टाइप राइटर चोरी राजन का धंधा बन गया. पर एक दिन चोर बाज़ार में तफ्तीश करती पुलिस को पता चला और सीधा पहुँच गया जेल में. जेल से बहार निकलते ही राजन ने गोल्डन गैंग बनाया.
ये थे बीते ज़माने में मुंबई पर राज करने वाले गैंगस्टर और मुंबई माफिया डॉन, जिन्होंने शुरुआत की मुंबई में संगठित अपराध की.
अगली कड़ी में मिलायेंगे नए ज़माने के अंडर वर्ल्ड और उसके सरगना से…
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