हाजी मस्तान
मुंबई का पहला डॉन. ना जाने कितनी ही फ़िल्में और किताबें है मस्तान की जिंदगी पर. किसी किवदंती से कम नहीं है मस्तान की जिंदगी.
मस्तान हैदर मिर्ज़ा 8 साल की उम्र में अपने पिता के साथ 1934 में मुंबई आया था. बाप बेटे दिन रात मेहनत करके भी कुछ खास नहीं कमाते थे.
नन्हे मस्तान की आँखों में थे बड़े बड़े सपने. चमकदार कपडे और मुंबई की सड़कों पर दौड़ती चमचमाती मर्सिडीज़ के. 18 साल की उम्र में कूलीगिरी से शुरूआत करने वाला मस्तान धीरे धीरे तस्करी और अन्य गैरकानूनी धंधो की बदौलत मुंबई का सबसे शक्तिशाली अपराधी बन गया. मस्तान ही था वो जिसके लिए सबसे पहले डॉन शब्द का इस्तेमाल किया गया था.