धर्म और भाग्य

शिर्डी के साईंबाबा की 100 साल पुरानी असली तस्वीरें जो आपके मन को भक्ति भाव से भर देगी !

शिर्डी के साईं बाबा के बारें में अलग-अलग लोग अलग-अलग बातें बताते हैं.

कोई कहता है कि बाबा एक खास धर्म के थे, हिन्दुओं की सुनते नहीं थे तो कोई कहता है कि बाबा भेदभाव करते थे.

लेकिन सच यह है कि बाबा सबकी सुनते थे और आज भी सबकी सुनते हैं. अक्टूबर का महीना वह महीना बताया जाता है जब बाबा समाधी ले लिए थे. तारीख 15 अक्टूबर, वही तारीख बताई गयी है.

वैसे कुछ लोग इस तारीख को 22 अक्टूबर भी बताते हैं लेकिन इतना तो निश्चित है कि वह महीना अक्टूबर था.

आज हम आपको शिर्डी के साईंबाबा की पुरानी तस्वीरें दिखाने वाले हैं.

तो आइये देखते हैं शिर्डी के साईंबाबा की पुरानी तस्वीरें –

1. यह पहली तस्वीर उसी समय की है जब बाबा सबको बताकर समाधी ले चुके थे. बाबा के प्रिय लोग बाबा के साथ खड़े हैं. वैसे बाबा अगर भेदभाव करते तो हिन्दू लोग हमेशा इनके आसपास नहीं रहते.

2. बाबा कितने दयालु थे यह बात यह तस्वीर बता रही है जिसमें साफ नजर आ रहा है कि बाबा के अंतिम सफ़र में सभी लोग बाबा के जाने से दुखी थे.

3. द्वारका माई का यह उस समय का दृश्य है. आज भी यहाँ से ज्वाला निकलती रहती है. बाबा चमत्कारी भी थे यह बात भी साबित होती है.

4. साईं बाबा की यह तस्वीर साफ तो नहीं है किन्तु यहाँ दिख रहा है कि बाबा भक्तों को आशीर्वाद दे रहे हैं. बाबा फ़क़ीर थे और आज भी फ़क़ीर हैं.

5. बाबा को किसी भी धर्म से जोड़ना गलत होगा. बाबा ने कभी हिन्दू-मुस्लिम लोगों में भेदभाव नहीं किया था.

6. बाबा जब बूढ़े हो लिए थे तो वह कमजोर हो गये थे. बाबा दिवार का सहारा लेकर चला करते थे.

7. यह तस्वीर उस जगह की है जहाँ आज समाधी मंदिर बनाया गया है. आपने निश्चित रूप से यह तस्वीर नहीं देखी होंगी.

8. साईं बाबा की यह तस्वीर तो वाकई काफी वायरल हो गयी है. बाबा इसमें भी भक्त को आशीर्वाद दे रहे हैं.

9. बाबा असल में दोनों ही धर्म से प्यार करते थे. साईं का मुख्य उद्देश्य ही यह है कि सबका मालिक एक है.

10. साईं बाबा की यह तस्वीर बता रही है कि बाबा वैसे ही दिखते थे जैसा कि आज हमको बताये गये हैं.

ये है शिर्डी के साईंबाबा की पुरानी तस्वीरें – तो शिर्डी के साईंबाबा की पुरानी तस्वीरें साबित करती हैं कि बाबा सभी धर्मों के लोगों के साथ रहते थे और खासकर हिन्दू धर्म के लोग इनको अधिक मानते थे. बाबा का अंतिम सफ़र भी यही दर्शाता है.

Chandra Kant S

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