ढलती उम्र बनाएगी आपको और भी ख़ूबसूरत

जब आप बच्चे होते है, तब आपको बड़ा बनने की इच्छा रहती है.

पाठशाला से कालेज जाने की चाह रहती है. बच्चो को कॉलेज की आज़ादी और युवा जोश का इंतज़ार होता है.

जब यही बच्चे महाविद्यालय में जाते है तो उनको ऐसा लगता है की जल्द यह पढ़ाई ख़तम हो और किसी मल्टी नेशनल कंपनी में जॉब मिल जाए.

जॉब मिलने पर इन युवकों को ऐसा लगता है कि हमने तो ढंग से बचपन और टीनएज में मजे ही नहीं किये. यह युवा बड़ा बनने की चाह में जीवन का असली अर्थ नहीं समझ पाते.

लेकिन जब यह युवा पीढ़ी अपनी बढती उम्र को समझने लगते है, तो हर जन्मदिन के दुसरे दिन उम्र बढने का अफ़सोस भी करते है.

दिमाग में जैसे ही बुढ़ापे का ख्याल आता है. हमे लगता है की झुर्रियों से भरा चेहरा, डिप्रेशन, शारीरिक कमजोरी, विभिन रोग, चिड चिडापन नजर आने लगता है.

अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों ने अनेक पहलुओं पर अभ्यास करके ढलती उम्र की ओर नजरिया बदलने वाला खुलासा किया.

यु.एस के Princeton University का यह अभ्यास है, जो पीढ़ी अभी चल रही है उन्हें बड़ी उम्र और ढलती जवानी से डर नहीं लगता है.

युवाओं को हमेशा अपना दायरा (सर्कल) बढ़ाते रहने की आदत होती है. चाहे वो दोस्तों की सूची हो या फिर सहयोगी, परिचित इत्यादि. यह वो पड़ाव होता है जब वो अपनों को छोड़ गैरों कि तरफ ज्यादा भागते रहते है. असल में कौन उनका सचा मित्र है, ये उनको पता नहीं होता.

ढलती उर्म्र के साथ उनका दायरा सिमित हो कर रह जाता है. UC Berkley का अभ्यास कहता है कि, शादी जितनी पुरानी होती है उतनी बेहतर वो बनती है.

शादी 15 साल जैसे ही पुरानी हो जाती है, जोड़ा एक दुसरे को बदलना छोड़ देता है. जैसे है वैसे अपनाने की कोशिश करता है.

आप खुद के साथ अब कठोर नहीं होते

युवा उम्र में जब सकारात्मक तरीके से आप खुद को दुसरो से तुलना करने लगते है, तब ख़ास करके किसी बेहतर इंसान के साथ आप खुद को बेहतर करने में जुट जाते है.

Princeton का अभ्यास कहता है कि, खुद को बेहतर करने कि यह होड़ आपको संपन्न बना देती है. ढलती उम्र में आपको किसी भी तरह का डर नहीं लगता. क्योंकि तब तक आप वो सारे कामो में निपुण हो गए होते है, जिन कामो के लिए आप खुद के साथ कठोर व्यवहार कर रहे थे.

आप भावनात्मक रूप से परिपक्व हो जाते है

अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन ने खुलासा किया था कि जब सामान्य तौर पर मिडल एज कोई पार कर लेता है. वह इंसान के मूल्य अन्य लोगों कि तरह नहीं रहते. अधिक परिपक्व हो जाते है.

इस अभ्यास में यहा तक बताया गया कि यह लोक ७० की उम्र तक पहुचने के बाद खुद को संतुष्ट मानते है. यह व्यक्ति ७० की उम्र पार करने पर भावनात्मक रूप से परिपक्व हो जाते है.

आप अधिक चतुर हो जाते है.

बढती उम्र के साथ आपके आने वाले अनगिनत अनुभव आपको दिन ब दिन होशियार बनाते है. ये भी एक कारण  है आप किसी भी पड़ाव पर बेहतर निर्णय लेने से नहीं कतराते और परिणाम ज्यादा तर अच्छे और अनुकूल रहते है.

स्पर्धात्मक युग में अपडेट और ह्यापनिग ट्रेंड्स के साथ रहने वाली पीढ़ी की बौद्धिक क्षमता ढलती उम्र के साथ चतुर हो जाती है.

जैसे की आप ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के अनुसंधान पर हमने प्रकाश डाला है, उससे आपको यह पता तो चला है कि इन सारी बातों के पीछे विज्ञान का तर्क है.

अब आपको ढलती उम्र को लेकर ज्यादा सोचना नहीं चाहिए. केवल जो वक़्त है उसे पूरी तरह जीते हुए अपनों को भी साथ लेकर जीने का मजा लेना चाहिए.

ढलती उम्र से घबराने की जरूरत नहीं.

Neelam Burde

Share
Published by
Neelam Burde

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago