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पूरी दुनिया में अब सिर्फ 4000 बाघ

बाघों की संख्या

बाघों की संख्या – दुनिया भर में लगातर खत्म हो रही कई जानवरों की प्रजातियों में बाघ भी शामिल है।

दरअसल ये चिंताजनक तस्वीर दनिया भर में बाघों को लेकर हुए गहन अध्ययन के बाद सामने आई है। इस अध्ययन के अनुसार दुनिया भर में बाघों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। इतना ही नहीं इस अधययन में यह बात भी सामने आई है कि अब दुनिया में बाघों की मात्र 6 प्रजातियां ही शेष रह गई है।

इस बात की पुष्टि करते हुए वैज्ञानिकों ने कहा है कि दुनिया भर में जहां एक ओर बाघों की मात्र 6 प्रजातियां बची है, वहीं इनकी संख्या मात्र 4000 है। साथ ही वैज्ञानिकों ने इस खोज को  लेकर यह उम्मीद भी जताई है,  कि उम्मीद है इस खोज के बाद दुनिया से लुप्त हो रही बाघों की प्रजातियों को बचाने के काम में और तेजी आयेगी।

बाघों की संख्या

दुनिया में आज बाघों की 6 प्रजातिया जीवित है, जिनमें बंगाल टाइगर, साउथ चाइना टाइगर, सुमात्रन टाइगर, इंडोनेशिया टाइगर और मलायन टाइगर नाम की उपजातियां शामिल है। बाघों को लेकर किये गए इस गहन अध्ययन में यह बात भी सामने आई कि बाघों की इन 6 प्रजातियों की 4000 संख्या भी अब लुप्त होने की कगार पर आ गई हैं।

बाघों की संख्या – बाघों के मरने की खास वजह

बाघ की सभी प्रजातियों के मरने का सबसे बड़ा कारण है उनके आवासों का आभाव और उनके शिकारों यानि जानवरों की अन्य प्रजातियों का खत्म होना। जब से बाघों की लगातार लुप्त हो रही प्रजातियों को लेकर मानव जाति ने इस पर गहन अध्ययन शुरू किया, तब से बाघों को कैसे बचाया जाए यह विषय वैज्ञानिकों और मानव जाति के बीच हमेशा से चर्चा का विषय बना रहा है।

इतना ही नहीं दोनों समुदायों के बीच इस बात को लेकर भी हमेशा बहस होती रही है कि आखिरकार दुनियाभर में बाघों की कितनी प्रजातियां अब भी जीवित हैं। इस बहस को लेकर कई वैज्ञानिकों का कहना था कि मात्र दो प्रजातियां जीवित है, तो कई वैज्ञानिकों का कहना था कि   5 से 6 प्रजातियां जीवित हैं। इसी मुद्दों के लेकर हाल ही में हुए बाघ अध्ययन में पाया गया कि बाघों की 6 प्रजातियां आज भी जीवित है, जिनकी संख्या करीबन 4000 है। इन छह उपप्रजातियों के अलावा बाघ की अन्य तीन उप-जातियां काफी पहले विलुप्त हो गई थी, जिनमें कैस्पियन, जावा के बाघ और बाली के बाघ शामिल है।

बाघों की संख्या

इन बाघों की प्रजातियों को बेहतर ढंग से संरक्षित करने और उन्हें उनके जीवन यापन के अनुसार पर्यावरण और प्राकृतिक वास देना बेहद जरूरी है, ताकि उनके प्रजनन को बढ़ावा दिया जा सके। यह मुद्दा एक लम्बें समय से वैज्ञानिकों के बीच खासा चर्चा का विषय बना हुआ है।

बाघों की संख्या – काफी लम्बे अध्ययन और रिसर्च के बाद यह पुष्टी की गई है कि जीवित बाघों की प्रजातियां कौन कौन सी है। दरअसल रिसर्चरों से बाघों के संपूर्ण जीनामों के 32 नमूनों के आधार पर यह विशलेषण किया है।  ऐसा माना जाता है कि बाघ पृथ्वी पर 20 से 30 लाख साल पहले आए थे, लेकिन आज बाघ की जो प्रजातियां जीवित है उनकी उत्तपति के निशान करीब 1,10,000 साल पुराने है।