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तस्वीरों में – अब्दुल कलाम ने कुछ इस तरह अंजाम तक पहुँचाया था पोखरण परीक्षण को !

आज हमारे बीच डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम नहीं हैं.

लेकिन उनके आविष्कारों और उनके महान कार्यों की वजह से भारत की विश्व में शान बनी हुई है.

15 अक्टूबर को स्वर्गीय अब्दुल कलाम जी का जन्मदिन होता है. इस ख़ास मौके पर हम आज आपको भारत के उस परमाणु परीक्षण की सारी कहानी बताते हैं जो कलाम जी के बिना संभव नहीं था.

आज अगर भारत परमाणु संपन्न देश है तो वह बस डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की बदौलत ही है-

परमाणु परीक्षण की तसवीरें –

1. जैसलमेर के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में खेतोलाई गांव के पास 11 व 13 मई 1998 को मिसाइल मेन अब्दुल कलाम की अगुवाई में भारत ने परमाणु परीक्षण कर सबको हैरान और परेशान कर दिया था.


2. अमेरिका की नजर भारत के इस क्षेत्र पर काफी पहले से थी. अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमन्त्री बनते ही अब्दुल कलाम को यह जिम्मेदारी दे दी गयी थी कि सबकी निगाह से बचाकर आपको देश को परमाणु संपन्न देश बनाना है.


3. अब्दुल कलाम ने सोच-समझकर परमाणु परीक्षण की तारीख 11 व 13 मई रखी थी. यह दिमाग इन्हीं का था कि कश्मीर बॉर्डर पर सेना का युद्धाभ्यास करवाया जाये और सेना की गतिविधियाँ ऐसी होनी चाहिए जैसे भारत का किसी देश से युद्ध अब होने वाला है.

4. पोखरण के परीक्षण क्षेत्र में वैज्ञानिक भी सेना की वर्दी पहनकर काम कर रहे थे. ताकि अमेरिका जैसे देश के जासूसी उपग्रह भी यहाँ सिर्फ यही देख पाए कि सेना यहाँ युद्ध का अभ्यास कर रही है. लेकिन 11 मई को पहला परमाणु परीक्षण सफलतापूर्वक कर लिया गया था.

5. इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कि किस तरह से परीक्षण वाली जगह को नार्मल बनाकर रखा गया था. यहाँ तक कि देश के विपक्ष को भी इसकी जानकारी नहीं थी. 13 मई 1998 को फिर से एक सफल परमाणु परीक्षण किया गया था.

6. अमेरिका के उपग्रह ख़ास देशों की गतिविधियों पर निगाह रखते हैं. जैसे कि यहाँ से गाँव खाली क्यों कराए जा रहे हैं. वाहनों से लोग यहाँ क्यों आ रहे हैं. इसलिए अब्दुल कलाम ने खास निर्देश दिए थे कि परीक्षण वाली जगह झोपड़ियाँ बनी रहें और यहाँ वैज्ञानिक भी वाहनों से नहीं जायेंगे.

7. खुद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने परमाणु परीक्षण का सारा श्रेय डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को दिया था. वाजपेयी जी और कलाम के बीच एक गहरी दोस्ती हो गयी थी, जिसके कारण अब्दुल कलाम देश के राष्ट्रपति भी बने थे.

8. जिस वक़्त यह परीक्षण हुआ था, उस समय यहाँ का तापमान कुछ 45 डिग्री था. सेना के खुले ट्रकों में अब्दुल कलाम और अन्य वैज्ञानिक यहाँ आते थे.

9. इस मिशन का नाम लाफिंग बुद्धा रखा गया था. जब परीक्षण होना था तब उससे कुछ ही घंटों पहले आसपास के गाँव खाली करा लिए गये थे और लोगों को पेड़ों की ओट में रहने को बोला गया था. जैसे ही मिशन सफल हुआ था तो अब्दुल कलाम ने उस समय प्रधानमंत्री को फोन पर बोला था कि लाफिंग बुद्धा सफल रहा.

10. वाकई में आज अगर भारत के पास परमाणु हथियार हैं तो इसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को जाता है. यह महान वैज्ञानिक अगर हमारे पास उस समय नहीं होता तो निश्चित रूप से भारत परमाणु संपन्न नहीं हो सकता था.

ऐसे महान और वीर वैज्ञानिक को आज हम कोटि-कोटि नमन करते हैं. 15 अक्टूबर को कलाम जी का जन्मदिन है और हम ईश्वर से यही दुआ करते हैं कि ईश्वर डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को एक बार फिर से इंसानी जन्म देकर, भारत माँ की सेवा करने का मौका दें.

Chandra Kant S

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