अभी पिछले महीने जुलाई की 30 तारीख को “1993 बॉम्बे बम धमाके” के आरोप में याकूब मेमन को फांसी की सज़ा दी गयी.
सज़ा के बाद याकूब मेमन के मृत शरीर को इस्लामिक परंपरा के अनुसार मुंबई के चरनी रोड स्थित बड़े कब्रिस्थान में दफनाया गया. जिस बम धमाके के आरोप में याकूब को फांसी की सज़ा दी गयी, वहीं इस साज़िश को अंजाम देने में एक और शख्स भी शालिम था “दाऊद इब्राहीम” जो भारत के मोस्ट वांटेड अपराधी में से एक हैं.
एक खबर के अनुसार जहाँ याकूब मेमन को उसकी मौत के बाद जिस तरह से बड़े कब्रिस्थान में उसे दफ़नाया गया उसी तरह दाऊद इब्राहिम भी चाहता हैं कि उसकी मौत के बाद उसे भी बड़े कब्रिस्थान में दफ़नाया जाये.
1993 बम धमाके का फ़रार आरोपी दाऊद इब्राहिम उन धमाके के बाद से ही पाकिस्थान और दुबई में कई सालों से ऐशों आराम की जिंदगी जी रहा हैं. लेकिन अपनी इस ख्वाहिश के चलते उसे भारत आना पड़ेगा. मौत के बाद यदि मुंबई के बड़े कब्रिस्थान में दाऊद जगह पाना चाहता हैं तो यह तभी संभव हैं जब उसकी मौत यहाँ भारत में हो और जिसके लिए उसे भारत आना पड़ेगा.
दाऊद की इस ख्वाहिश के पीछे की एक बड़ी वजह यह हैं कि दाऊद अपने वालिद अमीना बी और इब्राहिम कासकर से बहुत प्यार करता था और उन दोनों की मौत के बाद उन्हें बड़े कब्रिस्थान में ही दफ़नाया गया था. दाऊद की यह ख्वाहिश हैं कि उसे मौत के बाद अपने अम्मी-अब्बू की कब्र के बीच ही दफनाया जाये.
कहते हैं कि दाऊद अपने परिवार में अपने वालिद के अलावा भी बाकि सब लोगों से बहुत प्यार करता था और इन सब रिश्तेदार में उसकी माँ, बाप, भाई शब्बीर, बहनोई इब्राहिम पारकर, उसकी बहन हसीना पारकर थी. इन सब को इनकी मौत के बाद मुंबई के इस बड़े कब्रिस्थान में दफ़नाया गया था और दाऊद मौत के बाद अपने परिवार के बीच में रहना चाहता हैं. सूत्रों के अनुसार दाऊद ने अपने लिए बड़े कब्रिस्थान में एक कब्र बुक भी कर रखी हैं.
चूँकि दाऊद भारत के लिए एक अपराधी हैं जो अपराध कर के देश से भाग गया था और पिछले कई समय से वह पाकिस्थान में हैं.
यदि उसकी मौत वही पाकिस्थान में हो जाती हैं तो उसे भी उसके भाई नुरा की तरह पाकिस्थान में दफना दिया जायेगा. 2009 में दाऊद के भाई नुरा की मौत के बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते उसे हिन्दुस्थान नहीं लाया गया था और वही पाकिस्थान में दफनाया दिया गया था.
लेकिन दाऊद के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ तो उसकी हिन्दुस्थान में जमीदोज होने की ख्वाहिश सिर्फ ख्वाहिश रह जाएगी और यदि दाऊद यहाँ आया तो भारत उसकी मौत इतनी आसान तो नहीं होने देगा.