उरी हमले के बाद भारत के लिए चीन के रवैए को देखकर भारत के लोगों ने एकजुट होकर एक ओर जहां चीन निर्मित वस्तुओं के बहिष्कार के लिए अपनी आवाज़ बुलंद की है, वहीं पाकिस्तान और चीन को छोड़कर बाकी पड़ोसी मुल्कों से भारत के अच्छे राजनीतिक और आर्थिक संबंधों ने चीन की चिंता और बढ़ा दी है.
भारत के साथ रिश्तों में बढ़ती कड़वाहट को बरकार रखते हुए अब चीन की नज़र बांग्लादेश पर जा टिकी है.
चीन बांग्लादेश को लुभाने के लिए तमाम दांव-पेंच आज़मा रहा है. ताकि वो बांग्लादेश का सबसे बड़ा हितैशी बनकर उसे अपने पक्ष में कर सके.
चीन की नज़र बांग्लादेश पर – चीन का बांग्लादेश को बड़ा प्रलोभन
बांग्लादेश को लुभाने के लिए चीन ने एक बड़ा पासा फेंकते हुए बहुत बड़ी आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है. भारत की तर्ज पर ही अब चीन बांग्लादेश को उसके आधारभूत संरचना के निर्माण के लिए कर्ज दे रहा है.
चीन ने बांग्लादेश की बिजली परियोजना, बंदरगाह और रेल लाइन को विकसित करने के लिए करीब 24 बिलियन डॉलर का कर्ज देने फैसला किया है. चीन के द्वारा दिया जानेवाला यह कर्ज भारत के मुकाबले करीब 12 गुना ज्यादा बताया जा रहा है.
30 साल में चीनी राष्ट्रपति का पहला बांग्लादेश दौरा
बांग्लादेश को लुभाने की चीन की चाल का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस चीन ने पिछले 30 सालों में एक बार भी बांग्लादेश की सुध नहीं ली, अब अचानक उसे बांग्लादेश की याद कैसे आई.
चीन को सिर्फ बांग्लादेश की याद ही नहीं आई बल्कि आर्थिक मदद देने के लिए खुद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शुक्रवार को बांग्लादेश के दौरे पर पहुंचे हैं. अपने इस दौरे के दौरान ही दोनों देशों के बीच 24 बिलियन डॉलर के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.
कहीं ये भारत के खिलाफ चीन की कोई चाल तो नहीं
भारत और बांग्लादेश के बीच अच्छे राजनीतिक और आर्थिक संबंध है. तभी तो पिछले साल ही बांग्लादेश की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश को 2 बिलियन डॉलर कर्ज देने की घोषणा की थी.
लेकिन उरी हमले के बाद से भारत के लिए चीन की कड़वाहट खुलकर दिख रही है. ऐसे में यह हो सकता है कि बांग्लादेश के लिए चीन की यह हमदर्दी भारत के खिलाफ चीन की एक चाल का ही हिस्सा हो.
गौरतलब है कि बांग्लादेश का भारत के साथ एक अच्छा रिश्ता होने के बावजूद भी उसे अपने देश में चीन के निवेश से कोई परहेज नहीं है. वो भारत और चीन दोनों के निवेश का स्वागत करता है.
खैर जो भी हो लेकिन चीन के इस कदम से ये बात तो साफ हो गई है कि चीन भी भारत की तरह पड़ोसी देशों से अच्छे संबंध बनाने की फिराक में लगा हुआ है. इसलिए चीन की नज़र बांग्लादेश पर जा टिकी है.
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