गुजरात से पलायन – गुजरात से बिहार और उत्तर भारत से आए लोगों के पलायन करने से गुजरात के व्यवसाय पर काफी नाकारात्मक असर पड़ा है।
दरअसल एक बड़े स्तर पर मजदूरों के पलायन के चलते गुजरात की कई बड़ी कंपनियों पर काफी बुरी असर पड़ा है। इतना ही नहीं गुजरात की कई बड़ी कंपनियां तो बंद होने की कगार पर भी आ गई है।
आखिर क्या हैं गुजरात में इन कंपनियों के बंद होने कारण
गुजरात में 14 माह की बच्ची के साथ रेप के मामले में पुलिस ने एक मजदूर को गिरफ्तार किया था।
दरअसल ये मजदूर उत्तर भारत से गुजरात कमाने के लिए आया था। एक मासूम सी बच्ची से रेप के मामले में इस तरह एक उत्तर भारत से आये मजदूर की गिरफ्तारी के बाद से गुजरात के लोगों ने उत्तर भारत, बिहार और मध्य प्रदेश से आये लोगों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया। गुजरात के लोगों ने इन सभी प्रदेशों से गुजरात आये सभी लोगों को समय सीमा के अन्दर गुजरात छोड़कर वहां से चले जाने का अल्टीमेंटम दे डाला और गुजरात से पलायन शुरू हो गया.
इन दिनों गुजरात में कई जगहों पर बंद रहा, तो कई जगहों पर पुलिस ने धारा 144 लागू की।
इन दिनों के दौरान उत्तर भारतीय, मध्य प्रदेश और बिहार के लोगों ने एक बड़ी संख्या में गुजरात से पलायन किया था। इन पलायन किये गए लोगों पर जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक करीब 50 हजार मजदूर और अन्य कई यूपी, बिहार के लोग गुजरात छोड़कर अपने घर वापिस लौट चुके हैं। ऐसा उन्होंने इस दौरान हुए दंगे फसाद से अपने परिवार को बचाने के लिए किया। बतां दे कि गुजरात में फैले इन दंगों के कारण वहां रह रहे करीबन 6 जिलों के लोग प्रभावित हुए है, जिसमें मेहसाणा और साबरकांठा जिले सबसे बड़े स्तर पर प्रभावित हुए हैं।
हिंसा और दंगे भरे माहौल में हुए इन लोगों के पलायन से गुजरात की सिर्फ शांति ही भंग नहीं हुई, बल्कि गुजरात के कई बड़े उद्योग धंधों को भी बड़े स्तर पर प्रभावित किया है। इतना ही नहीं एक साथ करीबन 50 हजार लोगों के पलायन करने के कारण आज गुजरात के कई जिलों में कई उद्योग में उत्पादन कार्य भी ठप पड़ गया है और कई फैक्ट्रियां तो बंद भी हो गई हैं।
गुजरात कारोबारी लगा रहे हैं सरकार से गुहार
गुजरात से पलायन के चलते लगातार उद्योग के उत्पादन में आ रही इस गिरावट और मजदूरों की कमी के चलते गुजरात कारोबारियों की मुश्किलें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। हालांकि इस बात को लेकर गजिरात कारोबारियों ने गुजरात सरकार से हालात सुधारने की गुहार भी लगाई है। ताकि उनके ठप पड़े काम को एक चालू दिशा मिल सके।
जहां एक ओर इस मामले में गुजरात कारोबारी सरकार से सुधार के लिए गुहार लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गुजरात से पलायन कर रहे और कर चुके उत्तर भारतीयों का कहना है कि गुजरात में हिन्दी भाषी लोगों को अब भी निशाना बनाया जा रहा है। इतना ही नहीं अब भी गुजरात में मकान मालिक उत्तर भारत, बिहार, मध्य प्रदेश आदि जगहों ले आए हिन्दी भाषी लोगों को मकान खाली कर वहां से चले जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
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