नोडल अफसर – उत्तर प्रदेश सरकार सुधार के लाख दावें कर ले, या कई तरह के कानूनी पैतरे ही क्यों ना आजमा ले, लेकिन आलस और कामचोर अफसर ना अपनी नियत से बाज आते है, ना अपनी करनी सुधारते है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार अफसरों को जिलो में निगरानी करने के लिए नोडल अफसर बना कर भेज रही है, लेकिन अधिकारी जिले में पहुंच कर केवल खाना पूर्ति कर रहे है। मामला फर्रुखाबाद जनपद के नोडल अफसर और नगर विकास सचिव गिरजा शंकर का है, जोकि पिछले 2 दिनों से जिले में देखरेख व जांच के लिए आये हुए थे।
जहां बीतों दिनों जिलों में नोडल अफसर ने कोतवाली फतेहगढ़ समेत बारौन पी.एच.सी और कलेक्ट्रेट सभागार के अधिकारियो के साथ मीटिंग की थी। इस मीटिंग के दौरान वहां कई चैनलों के मीडिया कर्मी (पत्रकार) भी वहां मौजूद थे, लेकिन कुछ देर बाद सीडीओ अपूर्वा दुबे मीडिया कर्मियों को देखा और उन्हें बाहर जाने का फरमान सुना दिया। अब इसके पीछे क्या कारण या मंशा थी यह बात अब तक सामने नहीं आई है।
बड़ी संख्या में आए थे लोग समस्याओं का समाधान लेने
खबर के मुताबिक इस बैठक के दौरान बड़ी संख्या में लोग अपनी परेशानियां का सुझाव लेने वहां उमड़े थे। इतने सारे लोगों को देख नोडल अफसर घबरा गए या फिर वो लोगों की समस्या सुनना ही नहीं चाहते थे। अब इस बात का खुलासा तो आगे के पक्ष-विपक्ष बयान के बाद ही लगाया जा सकता है। लोगों की इतनी लम्बी भीड़ देख सीडीओ अपूर्वा दुबे घबरा गई, जिसके बाद उन्होंने जल्दी-जल्दी में सरकार की योजनायें और उनके ग्राम लाभार्थियों की लिस्ट गिनवा कर चौपाल को समाप्त कर दी। वहां अपनी फरियाद लेकर आये फरियादियों का बात किसी ने नहीं सुनी और अधिकारी वहां से निकल गए।
फरियादियों की भीड़ देख नोडल अधिकारी हुए नौ दो ग्यारह
नोडल अफसर के निरिक्षण से लोगों की उम्मीदे जाग गई थी। उन्हें लगा था कि अब उनकी परेशानियों पर शायद सुनवाई होगी। इस उम्मीद के साथ सीडीओ अपूर्वा दुबे की बैठक में पंहुचे लोगों की उम्मीद तब पूरी तरह से टूट गई, जब अपूर्वा दुबे ने भीड़ को देखने के बाद जल्दी-जल्दी में सरकार की सभी योजनायें और उनके ग्राम लाभार्थियों की लिस्ट गिनवाई और चौपाल को समाप्त कर दिया। जोकि वह यह बात जानकी थी कि वहां आये लोग अपनी परेशानियां लेकर आये है, इसके बावजुद भी फरियाद लेकर आये फरियादियों का बात किसी ने नहीं सुनी और सभी मोडल अधिकारी मौका पाते ही वहां से नौ दो ग्यारह हो गए।
आखिर क्या है फिर यह सरकार की नोडल अफसर? जो जिस खास कार्य के संचालन के लिए नियुक्त की गई है, वह कार्य से भोग खड़ी हो रही है। जिस जनता की मुश्किलों की सुनवाई के लिए इन्हें नियुक्त किया गया है, ये उन्हीं की समस्याएं और भीड़ देख वहीं से नौ दो ग्यारह हो जाती है। सरकार अपने कामों को लेकर लाख दावे क्यों ना कर ले, लेकिन उसकी असिलियत समय पड़ने पर सरकार के इन दावों पर पानी फेरती नजर आती है।