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आखिर क्यों 1972 के बाद कोई चांद पर नहीं गया

चांद पर – इंसानियत के लिए ये एक छोटा कदम, पूरी मानव जाति के लिए बड़ा छलांग साबित होगा।

पहली बार कदम रखने वाले इंसान ने ये बात कही थी। वो 21 जुलाई 1969 की तारिख थी और नील ऑर्मसट्रॉन्ग ने चांद पर कदम रखकर इतिहास रच दिया था। इसके बाद पांच और अभियान चांद पर भेजे गए।

 

साल 1972 में चांद पर पहुंचने वाले यूजीन सरेनन आखिरी अंतरिक्ष यात्री थे। उनके बाद अब तक कोई भी इंसान चांद पे नहीं गया है, लेकिन करीब आधी सदी के बाद अमरीका ने एलान किया कि वो चांद पर इंसानी मिशन भेजेगा। राष्ट्रपति ट्रंप ने इससे जुड़े एक आदेश पर सोमवार को हस्ताक्षर किए। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि अमरीका या किसी और देश ने करीब आधी सदी यानि करीब 45 सालों तक चांद पर किसी अंतरिक्षयात्री को क्यों नहीं भेजा।

क्या बजट पर आकर अटकती थी बात

दरअसल चांद पे किसी इंसान को भेजना एक महंगा सौदा है। लॉस एंजेलिस के कैलिफोनिया यूनिवर्सिटी में खगोल विज्ञान के प्रोफेसर माइकल रिच कहते है, “चांद पे इंसानी मिशन भेजने में काफी खर्च आया था, जबकि इसका वैज्ञानिक फायदा कम ही हुआ”। साल 2004 में अमेरिका के तत्कालिन राष्ट्रपति डब्ल्यू जॉर्ज बुश में ट्रंप की ही तरह इंसानी मिशन भेजने का प्रस्ताव पेश का था। इसमें 104,000 मिलियन अमरीकी डॉलर की अनुमानित बजट में चला गया।

विशेषज्ञों को इस बार भी ऐसा ही होने का डर सता रहा है, क्योकि डोनाल्ड ट्रंप ने आदेश पर हस्ताक्षर करने से पहले सिनेट से परामर्श तक नहीं किया।

बढ़ रही है चांद पर जाने की दिलचस्पी

चांद पे जाने को लेकर माइकल रिच का कहना है कि “क्योकि ऐसे मिशन के वैज्ञानिक फायदे कम है, इसलिए इसके खर्चीले बजट के लिए कांग्रेस की मंजूरी हासिल करना एक मुश्किल काम है”। एक और कारण ये है कि नासा सालों से दूसरे अहम् प्रोजेक्ट को पूरा करने में लगा है। इन सालों में नासा ने कई नए उपग्रह, बृहस्पति पर खोज अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की कक्षा में लांच, अन्य आकाशगंगाओं और ग्रहों पर शोध किए है।

नासा सालों से चांद पे दोबारा इंसानी मिशन भेजने की वकालत करता रहा है। उसने इसके लिए भी भी कई वैज्ञानिक कारण होने की बात कही है। नासा का मानना है कि इंसान के चांद पे पहुंचने से कई नई जानकारियां मिलेंगी। बीते कुछ सालों में चांद पर जाने की दिलचस्पी बढ़ी है।

चांद पर पहंचने की योजना

सरकारी और प्राइवेट तौर पर कोशिशें पहले भी हुई हैं, जिसमें ना सिर्फ चांद पर जाने की घोषणआ की गई बल्कि चांद पर इंसानी बस्ती बनाने जैसी महत्वकांक्षाओं यौजनाएं भी पैश की गई। ये योजनाएं कम खर्च वाली तकनीक और स्पेसक्राफ्ट के निर्माण पर आधारित है। चीन ने 2018 जबकि रूस ने 2031 तक चांद पर पहुंचने की योजना बनाई है। इस बीच कई प्राइवेट उपक्रमों ने स्पेस बिजनस मॉडल लाने की भी बात कही है, जिसमें चांद पर खनिजों का खनन और चांद से लाए गए पत्थरों को बेशकीमती नगों की तरह बेचने की योजना है।

अमेरीका अंतरिक्ष की इस रेस में किसी से पीछे नहीं रहना चाहता। नासा की योजना के लिए इस बार बनाया गया आम बजट के पीछे एक फीसदी है। जबकि पिछले अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए ये 5% था।

 

Kavita Tiwari

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