ENG | HINDI

इस काम के लिए मोदी के मुरीद हुए मौलाना दे रहे हैं ये फतवा

मौलानाओं का फतवा

यूं तो मुस्लिम उलेमाओं से लेकर मौलाना तक सब एक लाइन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में खड़े हैं.

लेकिन भारत की वर्तमान राजनीति में कोई भी हो, वो नरेंद्र मोदी का विरोध तो कर सकता है लेकिन उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकता. यही वजह है कि जो मौलना प्रधानमंत्री की आलोचना करते नहीं थकते थे वो आज एक स्वर में उनके हर घर में शौचालय बनाने की मुहिम का समर्थन कर रहें हैं.

मौलानाओं का फतवा है कि शौचालय नहीं तो निकाह नहीं.

दरअसल, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के मौलवियों और मुफ्तियों ने फैसला किया है – मौलानाओं का फतवा जारी किया है कि वे ऐसे घरों के लड़कों का निकाह नहीं कराएंगे जिनके घरों में शौचालय नहीं हैं.

वहीं जमीयत उलमा ए हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद ए मदनी ने कहा कि तीन राज्यों में शौचालय की शर्त को मुसलमानों की शादी के लिए अनिवार्य कर दिया गया है और इसे जल्द ही देश के अन्य सभी राज्यों में लागू किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के मौलवियों तथा मुफ्तियों ने फैसला किया है कि वे ऐसे मुस्लिम लड़कों का निकाह नहीं कराएंगे जिनके घरों में शौचालय नहीं हैं. जोकि एक बहुत बढ़िया कदम है.

ऐसा पहली बाद देखने को मिला है कि जब मुस्लिम मौलानाओं की ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किसी जन योजना को इतना समर्थन मिला हो कि इसके लागू करवाने के लिए उन्होंने बाकयदा फतवा तक जारी कर दिया.

गौरतलब है कि पूर्व राज्यसभा सदस्य मदनी ने यह बात पिछले हफ्ते यहां खानापाड़ा में स्वच्छता पर आयोजित असम सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान कही. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि देशभर में सभी धर्मों के धार्मिक नेताओं को फैसला करना चाहिए कि वे उन लड़कों की शादी नहीं कराएंगे जिनके घरों में शौचालय नहीं हैं.

स्वच्छता पर जोर देते हुए उन्होंने लोगों से कहा कि वे शौचालयों का इस्तेमाल करें और न सिर्फ असम को, बल्कि समूचे देश को स्वच्छ बनाएं.

देखा जाए तो एक प्रकार से ये मौलानाओं का फतवा – मुस्लिम मौलानाओं और उलेमाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं का अपरोक्ष रूप से खुला समर्थन कर अपनी ओर से संदेश दे दिया है.