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क्या कांग्रेस ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी !

अविश्वास प्रस्ताव

बीजेपी सरकार लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव जीत गई और इसके साथ ही कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी, शुक्रवार को लोकभा में कांग्रेस अध्यमक्ष राहुल गांधी ने जिस तरह की हरकत की उससे एक बार फिर साबित हो गया कि उनमें एक गंभीर और समझदार राजनेता बनने के कोई गुण नहीं है.

उनके अपरिपक्व बयान ने यकीनन कांग्रेस की फिर से फजीहत करवा दी. जिस पार्टी का अध्यक्ष ही अपरिवक्व हो, भला वो देश की कमान कैसे संभालेगी?

संसद में गभीर विषयों पर गंभीर चर्चा होती है, लेकिन कल  राहुल गांधी ने तो संसद को पूरी तरह से मज़ाक बना दिया. पहले तो जमकर मोदी सरकार पर बरसे फिर जाकर उनसे गले मिल आए और कहते हैं कि बीजेपी और आरआरएस वाले भले ही उन्हें पप्पू समझे और उनसे नफरत करें, मगर उनके मन में किसी के लिए नफरत नहीं है और मोदी से गले मिलना इस बात का सबूत है. राहुल ने भले ही ऐसा करके अपनी और कांग्रेस की छवि सुधारने की कोशिश की हो, मगर इसका असर तो उल्टा ही हो गया.

वो हंसी के पात्र बन गए, इतना ही नहीं राफेल डील पर मोदी सरकार पर बेबुनियाद आरोप लगाने पर बीजपी उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश करने वाली है. ऐसे में हीरो बनने की उनकी कोशिश उनपर और कांग्रेस पर बहुत भारी पड़ने वाली है.

संसद में गले मिलने और आंख मारने के उनके बर्ताव पर लोग जमकर मजे ले रहे हैं, किसी ने मोदी से गले मिलने की तुलना मुन्ना भाई की झप्पी से की, तो आंखे मारने पर कहा कि राहुल तो प्रिया प्रकाश वॉरियर को टक्कर दे रहे हैं. क्या किसी पार्टी के अध्यक्ष को ऐसी बचकानी हरकते शोभा देती हैं? पिछले बार के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह से हारने के बाद से ही कांग्रेस में नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं, राहुल को कांग्रेस की कमान देकर सोनिया गांधी ने अपने परिवारवाद को तो आगे बढ़ाया, मगर देश की सबसे बड़ी पार्टी का रुतबा मिट्टी में मिला दिया.

राहुल गांधी हमेशा ही अपने बेवकफू भरे भाषणों से कांग्रेस की किरकिरी कराते रहे हैं और अविश्वास प्रस्ताव के दौरान तो उन्होंने हद ही कर दी. एक बार तो मोदी के विदेश दौरे के बारे में कहा कि मोदी जी बार में जाते, बात में उसे सुधारते हुए कहा कि बार का मतलब बाहर यानी विदेश दौरा. जिस पार्टी का नेतृत्व ऐसे पप्पू के हाथों में होगा, क्या जनता उसे देश की बागडोर सौपेगी, क्या उसे अपना जनप्रतिनिधि बनाएगी? उम्मीद तो कम ही नज़र आती है.

कुछ कांग्रेसी भले ही राहुल गांधी के भाषण को शानदार और परिवर्तनकारी बता रहे हो, मगर सच तो ये है कि राहुल का भाषण और बर्ताव कांग्रेस के लिए अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा ही है, क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राहुल का भाषण तो लोगों के लिए मनोरंजन का साधन बना, वहीं नरेंद्र मोदी ने अपनी बातों और अंदाज़ से एक बार फिर जनता का दिल जीत लिया. मोदी जी को एक और मौका मिला अपनी सरकार के किए काम का गुणगान करने का.