चमत्कार के आगे तो हर कोई नतमस्तक हो जाता है.
शायद इसलिए निराई माता का मंदिर जहाँ भक्तों का सैलाब उमड़ता है.
माता के इस अलौकिक मंदिर कोई न कोई चमत्कार देखने को मिल जाता है. इसी चमत्कार को नमस्कार करने के लिए माता के दरबार में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर पैरी नदी के पास पहाड़ी पर विराजमान निराई माता का मंदिर श्रद्घालुओं एवं भक्तों के आकर्षण का केंद्र है.
निराई माता का मंदिर जहाँ स्वयं प्रज्जवलित होती है ज्योत
निराई माता का मंदिर जिसकी खासियत यह है कि हर साल चैत्र नवरात्रि के दौरान देवी स्थल पहाड़ियों में अपने आप से ज्योत प्रज्वल्लित होती है. ज्योत कैसे प्रज्वल्लित होती है, यह आज तक एक रहस्य बना हुआ है.
अपने आप प्रज्जवलित होनेवाली ज्योत को लेकर लोगों की मान्यता है कि यह सब निराई देवी का ही चमत्कार है. इसलिए चैत्र नवरात्रि में पूरे नौ दिन तक बिना तेल के ही ज्योत जलती रहती है.
साल में सिर्फ एक बार खुलता है मंदिर
निराई माता का मदिर सालभर में सिर्फ एक दिन और वो भी महज पांच घंटे के लिए आम भक्तों के लिए खोला जाता है.
सुबह 4 बजे से सुबह 9 बजे तक ही भक्त माता के दर्शन कर सकते हैं. ग्राम पुरोहित के पूजा करने के बाद मंदिर के कपाट फिर साल भर के लिए बंद कर दिए जाते हैं. साल के बाकी दिनों में यहां आना प्रतिबंधित है.
चैत्र नवरात्रि में जत्रा का आयोजन
हर साल चैत्र नवरात्र के पहले रविवार को जत्रा कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं. बस इसी दिन माता का दरबार आम भक्तों के लिए खुलता है.
कहा जाता है कि निराई माता का दर्शन पवित्र मन से किया जाता हैं. जो भी व्यक्ति मांस या मदिरा का सेवन करके मंदिर में आने की कोशिश करता है उसे मधुमक्खियों के कोप का शिकार होना पड़ता है.
ऐसे प्रसन्न होती हैं माता
निराई माता का मंदिर जहाँ सिंदूर, सुहाग, श्रृंगार, कुमकुम, गुलाल नहीं चढ़ाया जाता, बल्कि नारियल और अगरबत्ती से माता भक्तों पर प्रसन्न हो जाती हैं.
भक्तों की इस भक्ति से खुश होकर निराई माता उनके भय और तमाम दुखों का नाश करती हैं. माता की कृपा से मनोकामना पूर्ण होने पर हजारों की संख्या में भक्त पूजा-अर्चना के लिए इस दरबार में आते हैं.
दी जाती है हज़ारों बकरों की बलि
निराई माता का मंदिर जहाँ साल में एक दिन के लिए खुलनेवाले इस मंदिर में बकरों की बलि चढ़ाई जाती है.
मान्यता है बलि चढ़ाने से देवी मां प्रसन्न होकर सभी मनोकामना पूरी करती हैं. इसलिए यहां आनेवाले भक्त हज़ारों बकरों की बलि देकर माता को प्रसन्न करते हैं. वहीं कई भक्त मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाने के बाद बकरे की बलि चढ़ाते हैं.
माता पर लोगों का अटूट विश्वास
इस पहाड़ी पर बसनेवाली माता निराई के लिए लोगों में अपार श्रद्धा और विश्वास है.
इस मंदिर में महिलाओं को प्रवेश और पूजा-पाठ की इजाजत नहीं हैं. यहां केवल पुरुष पूजा-पाठ की रीतियों को निभाते हैं. महिलाओं के लिए इस मंदिर का प्रसाद खाना भी वर्जित है, खा लेने पर कुछ न कुछ अनहोनी हो जाती है.
बहरहाल भक्तों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम भी किए जाते हैं.
हालांकि बढ़ती भीड़ को देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि माता के चमत्कार की गाथा ही भक्तों को उनके दरबार तक खींच लाती है.
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